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अगर यही हाल रहा तो खत्‍म हो जाएगा देश का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्‍थल नैनीताल!

नैनीताल में लोवर माल रोड के नैनी झील में धंसने और बलियानाला की पहाडि़यों के निरंतर दरकरने के कारण आपदा के खतरे काफी बढ़ गए हैं। शासन को इससे निपटने की ठोस नीति बनानी होगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 02:58 PM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 07:14 AM (IST)
अगर यही हाल रहा तो खत्‍म हो जाएगा देश का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्‍थल नैनीताल!
अगर यही हाल रहा तो खत्‍म हो जाएगा देश का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्‍थल नैनीताल!

नैनीताल, स्‍कंद शुक्‍ल : बात सुनने में जरा खौफ पैदा करेगी, लेकिन है बिल्‍कुल सच। देश के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्‍थलों में शुमार नैनीताल आपदा के मुहाने पर खड़ा है। हर दिन इसके कुछ न कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जो बेहद डरावने हैं। कुछ दिनों पहले जहां नैनीताल की लोवर माल रोड का बड़ा हिस्‍सा नैनी झील में धंस गया था वहीं बलियानाला की पहाड़ियों का दरकना निरंतर जारी है। अब तक तकरीबन 34 परिवारों को वहां से शिफ्ट किया जा चुका है। लोवर माल रोड को फिलहाल फौरी तौर पर दुरुस्‍त कर हल्‍के वाहनों को चलने की छूट दे दी गई है। पर क्‍या यह नैनीताल को आपदा से बचाने का समाधान है। दिनों दिन बढ़ता शहर का बोझ और अंधाधुंध हुए निर्माण ने शहर के हालात को काफी जटिल बना दिया है। आइए जानते हैं कि ऐसी कौन सी स्थितियां बनी जो आज नैनीताल को अपदा के इस मुहाने पर लाकर खड़ी कर दी हैं।

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अंधाधुंध हुए शहर में अवैध निर्माण

वर्तमान में नैनीताल की बसासत इतनी सघन हो चुकी है कि अब निर्माण की गुंजाइश ही नहीं है। इसके बावजूद बचे खुचे स्‍थानों पर भी उपर तक पहुंच रखने वाले लोगों ने निर्माण कार्य जारी रखा। मानकों को ताक पर रखकर उन्‍हें इसकी स्‍वीकृति भी मिलती रही। लेकिन जब हद हो गई तो उत्‍तराखंड हाईकोर्ट ने मामले का खुद संज्ञान लेते हुए सरोवर नगरी में निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध ला दिया। 

बाहर के वाहनों को प्रवेश की अनुमति

आम दिनों को छोड़ दिया जाए तो पर्यटन सीजन में भी बाहर से आने वाले वाहनों पर कोई प्रतिबंध नहीं। नतीजा ऐसे दिनों में पार्किंग पूरी तरह से फुल हो जाती है। वाहनों की भीड़ इस कदर बढ़ जाती है कि काठोदाम से नैनीताल तक वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। ऐसे में लोकल के लोगों को अपने घर और ऑफिसों में पहुंचने में काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है।

इलेक्‍ट्रॉनिक वाहनों का संचालन नहीं

बार बार मांग उठने और प्रस्‍ताव बनने के बावजूद नैनीताल के लिए अभी तक इलेक्‍ट्रॉनिक वाहन अभी तक नहीं चल सके। इसका नुकसान होता है कि लोग व्‍यक्तिगत वाहन लेकर पहुंच जाते हैं। इससे जहां सरोवर नगरी में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है वहीं अनावश्‍यक का दबाव भी आपदा के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।

पर्यटकों के आगमन पर कोर्इ प्रतिबंध नहीं

नैनीताल को नैसर्गिक सौंदर्य इस कदर को लोगों को भाता है किे हर कोई यहां खिंचा चला है। इससे दिन ब दिन सरोवर नगरी पर दबाव बढ़ता जा रहा है। पर्यटकों के आमद को लेकर कोई निति नहीं बनी है। इसका खामियाजा सरोवर नगरी को भुगतना पड़ रहा है।

वनों का अंधाधुंध कटान

वनों का अंधाधुंध कटान भी सरोवर नगरी के लिए घातक साबत हुआ है। पेड़ों का कटना पहाड़ों के दरकने की बड़ी वजह मानी जाती है। लेकिन शुरुआती दिनों में इस पर कोई अंकुश न लगने के कारण सरोवर नगरी को काफी नुकसान पहुंचा है।

अपर माल रोड के लिए भी बढ़ा खतरा 

नैनीताल में लोअर माल रोड के धंसने के कारण अपर माल रोड भी खतरे की जद में है। दरअसल माल रोड के ठीक ऊपर की पहाड़ी के भीतर भारी मात्रा में पानी रिसकर पहुंच रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पहाड़ियों में जलरिसाव रोकने के लिये नालों की मरम्मत बेहद जरूरी है लेकिन चिन्ता की बात यह है कि रिसाव के पानी को झील तक पहुंचाने वाले 12 नाले गायब हो चुके हैं। ये सभी नाले संवेदनशील क्षेत्रों में थे। वर्ष 1880 में शेर का डांडा पहाड़ी में भूस्खलन हुआ था जिसने नैनीताल को भारी नुकसान पहुंचाया था।

जल्द ट्रीटमेंट नहीं हुआ तो और बिगड़ेंगे हालात

बलियानाले का ट्रीटमेंट जल्द नहीं किया तो हालात काफी खतरनाक हो सकते हैं। नैनीताल के हरिनगर, रईस होटल से लेकर तल्लीताल क्षेत्र को खतरा पैदा हो सकता है। चार सौ मीटर क्षेत्र में भूस्खलन हुआ तो ऊपरी इलाकों में जमीन धंसने व दरारें पड़ने लगी हैं।

ट्रीटमेंट की बजाए मिट्टी से भर रहे दरार

सरोवर नगरी का जोड़ने वाली सड़कें अब डेंजर जोन बनती जा रही हैं। हल्द्वानी रोड पर आमपड़ाव से आगे सड़क भवाली रोड कैलाखान के पास पिडछे दिनों सड़क धंसने से तमाम सावाल खड़े हो गए हैं। इतना ही नहीं इनके ट्रीटमेंट की बजाय लोनिवि ने मिट्टी का ढेर मौके पर रख दिया था, ताकि दरार को अस्थाई रूप से पाटा जा सके। नैनीताल में राजभवन रोड 50 मीटर धंस चुकी है, जबकि उस स्थान पर पिछले साल ही लोनिवि ने रिटेनिंग वाल बनाई गई थी। रूसी बाइपास पर जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है। ये स्थितियां बड़े खतरे का संकेत हैं।

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