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जारी हुआ नया फतवा: पराए मर्दों से चूड़ियां पहनना और जलसों में पुरुषों संग भोजन करना है गुनाह

नए फतवे के अनुसार, अब मुस्‍लिम महिलाएं पराए मर्दों से चूड़ी नहीं पहन सकतीं है और न ही समारोहों में पुरुषों संग भोजन कर सकती हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 10:32 AM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 10:35 AM (IST)
जारी हुआ नया फतवा: पराए मर्दों से चूड़ियां पहनना और जलसों में पुरुषों संग भोजन करना है गुनाह
जारी हुआ नया फतवा: पराए मर्दों से चूड़ियां पहनना और जलसों में पुरुषों संग भोजन करना है गुनाह

नई दिल्ली (एजेंसी)। दारुल उलूम देवबंद ने एक फतवा जारी किया है जिसके तहत मुस्लिम महिलाओं का चूड़ी की दुकान पर पराए मर्दों से चूड़ी पहनना गैर इस्लामिक है। वहीं बरेली की विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत ने अपने फतवे में कहा है कि समारोहों में मुस्लिम महिलाओं का पुरुषों के साथ भोजन करना इस्लामिक नहीं है।

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फतवे से चिंतित चूड़ी कारोबारी

चूड़ी के कारोबार से देश में कई करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। इन लोगों का कहना है कि अगर यह फतवा लागू हो जाए तो उनका कारोबार बंद हो जाएगा क्योंकि यह काम 99 फीसदी मर्द ही करते हैं।

हाथ, पैर, आंखें हैं खतरनाक: मौलाना

मौलाना अबुल इरफान मियां फिरंगी महली का कहना है कि यह हाथ, पैर, आंखे बहुत खतरनाक होती हैं। यह मिनटों में आदमी को कहीं से कहीं पहुंचा देती हैं और जब एक औरत गैर मर्द को हाथ पकड़ाएगी तो क्या हो सकता है इसलिए शरियत ने मना किया है कि जो देनदार मुस्लिम औरतें हैं उनको इन कामों से एहतियात बरतनी चाहिए।

समारोहों में औरत-मर्द का साथ भोजन करना नाजायज

वहीं दरगाह आला हजरत के मरकजी दारुल इफ्ता से जारी फतवे में कहा गया है कि शादी समारोह और जलसों के मौकों पर औरतों और मर्दों का एक साथ भोजन करना व ऐसी जगहों पर मर्दो का औरतों से मिलना-जुलना नाजायज है। दरअसल, दरगाह आला हजरत स्थित मरकजी दारुल इफ्ता से पीलीभीत निवासी इमदाद हुसैन ने एक सवाल पूछा, जिसमें एक मौलाना के भाई की शादी का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि भाई की शादी में बैंड बाजा और डीजे बजवाया गया और औरतों और मर्दो को एक साथ एक ही हाल में भोजन कराया गया, क्या शरीयत के हिसाब से यह सही है?

ऐसे फतवे खत्‍म करते हैं अहमियत

वहीं, जारी किए गए फतवों पर इस्लाम को मानने वाले मुस्लिमों ने कहना है कि ऐसे बेजा फतवों से ही फतवों की अहमियत खत्म हो रही है। उन्होंने ऐसे फतवों को इस्लाम की छवि के लिए भी खराब ठहराया है।


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