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जल्‍द बाजार में आ जाएगी डेंगू की आयुर्वेदिक दवा, लोगों को मिलेगी राहत

डेंगू के इलाज के लिए तैयार की गई आयुर्वेदिक दवा का क्लीनिकल ट्रायल तीसरे और अंतिम चरण में चल रहा है और यह अगले दो वर्षो में बाजार में आ जाएगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 11:56 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 12:23 AM (IST)
जल्‍द बाजार में आ जाएगी डेंगू की आयुर्वेदिक दवा, लोगों को मिलेगी राहत
जल्‍द बाजार में आ जाएगी डेंगू की आयुर्वेदिक दवा, लोगों को मिलेगी राहत

 नई दिल्ली, प्रेट्र। डेंगू के इलाज के लिए तैयार की गई आयुर्वेदिक दवा का क्लीनिकल ट्रायल तीसरे और अंतिम चरण में चल रहा है और यह अगले दो वर्षो में बाजार में आ जाएगी। मंगलवार को यह जानकारी आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने दी। इस दवा पर आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) शोध कर रहे हैं।

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अगले दो वर्षों में दवा के बाजार में आने की संभावना 

कोटेचा ने बताया कि इसे भारत में उगाई जाने वाली विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियों से बनाया गया है और इस दवा के गोली के रूप में अगले दो वर्षों के भीतर बाजार में आने की संभावना है।

क्लीनिकल ट्रायल अंतिम चरण में

पिछले 100 दिनों में मंत्रालय की उपलब्धियों पर बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस से इतर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि दवा का क्लीनिकल ट्रायल तीसरे और अंतिम चरण में है। अगले दो सालों में यह पूरा हो जाएगा। एक बार शोध पूरा होने के बाद यह डेंगू के लिए तैयार की गई पहली दवा होगी।

उन्होंने कहा कि दवा का नाम क्या होगा और यह कैसे बेची जाएगी जैसे मुद्दों पर निर्णय होना बाकी है। उन्होंने कहा कि खुराक के मानकीकरण और दवा में उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी के अनुपात पर अभी आइसीएमआर और मंत्रालय की टीम को काम करना होगा।

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर सकेंगे गोमूत्र पर होने वाले शोध

सरकार एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाएगी, जिस पर गोमूत्र के औषधीय मूल्यों पर शोध करने वाले आयुर्वेद चिकित्सक अपना शोध अपलोड कर सकेंगे। आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि गाय के मूत्र, दूध और गोबर सहित पांच सामग्रियों के मिश्रण से बनने वाले 'पंचगव्य' से कैंसर का इलाज होने की बात फिलहाल प्रमाणित नहीं हुई है। हालांकि बीमारी पर इसके प्रभावों के बारे में शोध चल रहा है। बता दें कि पंचगव्य का प्रयोग पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों में किया जाता है।

 

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