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मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश और वहां नमाज का अधिकार देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की

मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश पर पाबंदी संविधान के अनुच्छेद 14152125 और 29 का उल्लंघन है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 08:47 PM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 08:47 PM (IST)
मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश और वहां नमाज का अधिकार देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की
मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश और वहां नमाज का अधिकार देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को संविधान में मिले मौलिक अधिकार के खिलाफ बताते हुए पूरे देश में मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश और वहां नमाज का अधिकार देने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड व अन्य को नोटिस जारी किया है। याचिका में मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश पर रोक लगाने वाले फतवे रद करने की भी मांग की गई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए याचिका पर केंद्र सरकार नोटिस जारी किया 

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, एस बोपन्ना और ऋषिकेष राय की पीठ ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए मामले पर सुनवाई करने के बाद याचिका पर नोटिस जारी किया। यह जनहित याचिका फरहा अनवर हुसैन शेख ने दाखिल की है।

मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश की मांग कोर्ट से की

याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट सरकार व अन्य प्रतिवादियों को निर्देश दे कि वे मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश की इजाजत दें। और मुस्लिम महिलाओं को वहां नमाज की भी इजाजत दी जाए।

मुस्लिम महिलाओं को मुख्य द्वार से मस्जिद में प्रवेश की इजाजत मिले

इतना ही नहीं याचिका में यह भी मांग की गई है कि मुस्लिम महिलाओं को मुख्य द्वार से मस्जिद में प्रवेश की इजाजत मिले। कहा गया है कि उन्हें इस्लामिक कानून में मुख्य स्थान जहां मुसल्ला बैठते हैं उन्हें सुनने और देखने का भी अधिकार है।

मुस्लिम महिलाओं को सबके साथ मिलकर नमाज की इजाजत मिले

याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम महिलाओं को बैरियर लगा कर अलग से नहीं बल्कि बल्कि सबके साथ मिलकर नमाज की इजाजत मिले।

मुस्लिम महिलाओं पर पाबंदी संविधान के अनुच्छेद 14,15,21,25 और 29 का उल्लंघन है

मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश पर पाबंदी संविधान के अनुच्छेद 14,15,21,25 और 29 यानी समानता, जीवन और धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट मुस्लिम महिलाओं के सम्मान से जीवन जीने के अधिकार के बारे में उचित आदेश दे।

याचिका में केंद्र सरकार, दारुल उलूम देवबंद, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड पक्षकार हैं

याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसने एक मई 2019 को पुणे बोपोडी की मुहम्दिया जमातुल मुस्मिलीन जामा मस्जिद में नमाज की इजाजत मांगी थी, लेकिन उसे वहां से कोई जवाब नहीं मिला। इस याचिका में केंद्र सरकार के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग, महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड आफ वक्फ, सेन्ट्रल वक्फ काउंसिल, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, जमीयत उलेमाए हिन्द, दारुल उलूम देवबंद और मुहम्दिया जमातुल मुस्मलीन जामा मस्जिद बोपोडी पुणे के अध्यक्ष को पक्षकार बनाया गया है।


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