फिर उठेगी उत्तर पूर्व के लिए अलग टाइम जोन की मांग
भारत के दो अलग टाइम जोन की मांग फिर से उठ सकती है। ...और पढ़ें

अशुतोष झा, इटानगर। केंद्र सरकार भारत के लिए दो अलग टाइम जोन की जरूरत को भले ही नकारती रही हो, यह तय है कि इसकी मांग फिर से उठेगी। वहीं इससे इनकार करन भी मुश्किल है कि केंद्र की सोच न बदले। पूर्व में असम सरकार की मांग के बाद अब अरुणाचल प्रदेश के मुख्य पेमा खांडू भी प्रधानमंत्री से यह मांग करने वाले है।
पिछले साल ही कांग्रेस से भाजपा में आये पेमा खांडू अभी सिर्फ दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल पाये है। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने जहां विकास के लिए मोदी की प्रशंसा की वहीं यह भी मानते हैं कि दो टाइम जोन उत्तर पूर्व के विकास को गति देगा। हालांकि इसे लेकर अलग अलग विचार रहे हैं। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज का मानना है कि उत्तर पूर्व के लिए टाइम जोन आधा घंटा पहले करने से ही 2.7 बिलियन यूनिट बिजली बच सकती है। रोड दुर्घटना भी कम हो सकती है क्योंकि ठंड में उत्तर पूर्व में सूर्यास्त 4 बजे तक हो जाती है। भारत का जो भौगोलिक विस्तार है उसमें पूर्व से लेकर पश्चिम के सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मे दो घंटे का फर्क होता है।
असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भी ऐसी मांग की थी। उन्होंने चाय बागान टाइम जोन की बात कही थी। यानी भारतीय स्टैण्डर्ड टाइम से करीब एक घंटा पहले। लेकिन 2014 में राज्य सभा मे केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद ने इसे नकार दिया था। हाल में गुवाहाटी हाई कोर्ट ने भी एक पीआइ एल को खारिज कर दिया था।
बहरहाल बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में सोच न बदले यह कहना मुश्किल है। ध्यान रहे कि अभी उत्तर पूर्व के चार राज्यों में भाजपा और राजग की सरकार है। भाजपा इस क्षेत्र में विस्तार की कयावद में जुटी है।
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