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वैक्सीन लेने के बाद भी असर दिखा रहा कोरोना का खतरनाक डेल्टा वैरिएंट, AIIMS के शोध में बड़ा दावा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में हुए एक शोध में किया गया बड़ा दावा- कोरोना वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने के बावजूद लोगों पर असर दिखा रहा डेल्टा वैरिएंट। शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि डेल्टा वैरिएंट बहुत खतरनाक है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 08:19 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 08:43 AM (IST)
वैक्सीन लेने के बाद भी असर दिखा रहा कोरोना का खतरनाक डेल्टा वैरिएंट, AIIMS के शोध में बड़ा दावा
वैक्सीन लेने के बावजूद डेल्टा वैरिएंट बहुत खतरनाक।(फोटो: रायटर)

नई दिल्ली, एएनआइ। देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर थम रही है। इस बीच देश में बीते कई महीनों में कोरोना के नए-नए रूप सामने आए हैं। कोरोना के इन रूपों को वैरिएंट कहा जाता है। इसमें से ही एक डेल्टा वैरिएंट को लेकर एक नई रिसर्च सामने आई है जो बेहद डराने वाली है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में हुए एक शोध में पाया गया है कि कोरोना वैक्सीन लेने के बाद भी डेल्टा वैरिएंट(B1.617.2) काफी असरदार दिख रहा है। स्टडी बताती है कि कोरोना वायरस का डेल्टा वैरियेंट वैक्सीन के असर को कम कर दे रहा है। वैक्सीन लेने के बाद संक्रमित हुए ज्यादातर लोगों में डेल्टा वेरियेंट ही पाया जा रहा है।

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एम्स की स्टडी में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि डेल्टा वैरिएंट बहुत खतरनाक है। स्टडी में सामने आया है कि लोगों ने चाहे कोविशील्ड ली हो या फिर कोवैक्सीन, कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट लोगों को संक्रमित करने में सक्षम है। शोध में ये बताया गया है कि कोरोना वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने के बाद भी डेल्टा वैरिएंट लोगों पर अपना असर दिखा रहा है। इसका खतरा कम नहीं हो रहा है। हालांकि, इस शोध रिपोर्ट की अभी समीक्षा किया जाना बाकी है।

क्या है कोरोना डेल्टा वैरिएंट ?

भारत में पहली बार कोरोना के जिस प्रकार का पता चला था वो बी.1.167.2 था। ये भारत में सबसे पहले पाए गए तीन में से एक उप-प्रकार है। ये भारत में अक्‍टूबर 2020 में पाया गया था। भारत में पहली बार मिले बी.1.167.2 वैरिएंट को ही 'डेल्‍टा वैरिएंट' नाम दिया गया है। ये स्‍ट्रेन अब तक दुनिया के करीब 53 देशों में मिल चुका है। इसको विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने बेहद घातक बताया है।

ऐसा किया गया शोध

एम्स ने अपनी इस स्टडी में 63 लोगों को शामिल किया था जो वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना संक्रमित हो गए थे। इनमें 36 ऐसे लोग भी शामिल थे जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली थी जबकि 27 लोगों ने वैक्सीन की सिर्फ एक डोज ली थी। इनमें 10 लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगी थी जबकि 52 लोगों को कोवैक्सीन। एम्स ने बताया कि इन 63 में से 41 पुरुष थे जबकि बाकी बची 22 महिलाएं। स्टडी में कहा गया है कि ये सभी 63 लोग वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित तो हो गए थे, लेकिन इनमें एक की भी मौत नहीं हुई है। हालांकि, इन्हें ज्यादातर लोगों को 5-7 दिनों तक बहुत ज्यादा बुखार रहा था। 

डबल डोज लेने वाले 60% लोगों में डेल्टा वैरिएंट

एम्स की स्टडी में सामने आया है कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले 60% लोगों में जबकि एक डोज लेने वाले 77% लोगों में कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट पाया गया। एम्स की स्टडी रिपोर्ट कहती है कि परीक्षण (Diagnosis) के दौरान सभी मरीजों में वायरल लोड काफी ज्यादा था, वो चाहे दोनों डोज ले चुके मरीज थे या फिर एक डोज लेने वाले। साथ ही, जिन्होंने कोविशील्ड लिया था और जिन्होंने कोवैक्सीन, दोनों ही तरह के मरीजों में वायरल लोड का स्तर काफी ज्यादा था।

लेकिन अंत में शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि डेल्टा वेरियेंट संक्रमण रोकने के लिहाज से वैक्सीन के असर को कम जरूर कर देता है फिर भी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ काफी कारगर हथियार है।


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