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मानसून की कमजोरी बढ़ाने लगी परेशानी

मानसून की गाड़ी अपनी तय तारीखों से अब एक पखवाड़ा पिछड़ गई है। जून के खत्म होने तक मानसून जहां आधे भारत तक बमुश्किल पहुंचा है। वहीं, अब तक दर्ज बारिश में भी ज्यादातर इलाके सामान्य से कम वर्षा दर्ज कर पाए हैं। ऐसे में देश के जल भंडारों का तेजी से घटता स्तर फिक्र बढ़ा रहा है। वहीं, खरीफ की फसल के लिए चिंता दिन-ब-दिन बढ़ रही है।

By Edited By: Published: Fri, 29 Jun 2012 06:45 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2012 09:44 PM (IST)
मानसून की कमजोरी बढ़ाने लगी परेशानी

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। मानसून की गाड़ी अपनी तय तारीखों से अब एक पखवाड़ा पिछड़ गई है। जून के खत्म होने तक मानसून जहां आधे भारत तक बमुश्किल पहुंचा है। वहीं, अब तक दर्ज बारिश में भी ज्यादातर इलाके सामान्य से कम वर्षा दर्ज कर पाए हैं। ऐसे में देश के जल भंडारों का तेजी से घटता स्तर फिक्र बढ़ा रहा है। वहीं, खरीफ की फसल के लिए चिंता दिन-ब-दिन बढ़ रही है। साथ ही मानसून की कमजोरी पानी, बिजली और मंहगाई की आंच को और बढ़ा सकती है।

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मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि एक सप्ताह में मानसून ठिठका पड़ा है। मानसून के बादल बरस भी कम रहे हैं। देश में अब तक हुई बारिश सामान्य से करीब 23 फीसद कम है। नतीजतन देश के प्रमुख जल भंडारों में पानी का स्तर तेजी से घट रहा है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट कहती है कि 28 जून 2012 को देश के 84 प्रमुख जलाशयों में 17 सूबों में स्थित 74 में पानी का स्तर अपनी पूर्ण क्षमता से 40 प्रतिशत कम हो गया है।

सिंधु, तापी, नर्मदा, कावेरी सहित आठ नदी बेसिनों में पानी बीते साल के मुकाबले कम है। बिजली उत्पादन पर भी इसका असर पड़ रहा है। केंद्रीय विद्युत आयोग के अनुसार मई 2012 में जल प्रवाह की कमी के कारण जलविद्युत उत्पादन केंद्र अपनी क्षमता के मुकाबले करीब 13 फीसद कम बिजली बना पा रहे हैं। खरीफ की फसलों को लेकर फिक्रमंद उत्तर पश्चिम भारत के किसानों को मौसम विज्ञानियों ने बारिश के इंतजार के बजाय सिंचाई साधनों के इस्तेमाल की सलाह दी है।

मानसून का रिपोर्ट कार्ड

- पश्चिम में 17 जून से महाराष्ट्र और पूरब में 21 जून के बाद उत्तर प्रदेश से आगे नहीं बढ़ पाया मानसून।

- सामान्यतया एक जुलाई तक राजधानी दिल्ली, हिमाचल, हरियाणा, पंजाब तक पहुंच जाता है मानसून।

- कृष्णा, कावेरी, गोदावरी व सिंधु बेसिनों में 60 प्रतिशत की कमी।

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