मुख्य न्यायाधीश से तत्काल सुनवाई की मांग
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। देश भर की महिलाओं की सुरक्षा के मामले को संवेदनशील और गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन [एससीबीए] की सचिव परीना स्वरूप ने मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर से मुलाकात की। परीना ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र देकर यह मुद्दा उठाने वाली पूर्व आइएएस प्रोमिला शंकर की याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किय
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। देश भर की महिलाओं की सुरक्षा के मामले को संवेदनशील और गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन [एससीबीए] की सचिव परीना स्वरूप ने मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर से मुलाकात की। परीना ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र देकर यह मुद्दा उठाने वाली पूर्व आइएएस प्रोमिला शंकर की याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
प्रोमिला शंकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देश भर की महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने की मांग की है। सोमवार को प्रोमिला की ओर से शीर्ष अदालत में अर्जेसी एफीडेविट [जल्द सुनवाई के लिए हलफनामा] भी दाखिल किया गया, ताकि मामले की गंभीरता को देखते हुए छुट्टियों के दौरान मुख्य न्यायाधीश घर पर ही उनकी याचिका पर सुनवाई कर जरूरी निर्देश जारी करें। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश तीन नए न्यायाधीशों को शपथ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आए थे।
शपथ ग्रहण के बाद परीना स्वरूप अपने एक वकील सहयोगी के साथ मुख्य न्यायाधीश से मिलीं और तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए पत्र दिया। मुख्य न्यायाधीश ने पत्र देखकर उचित कार्यवाही के निर्देश दिए। प्रोमिला की ओर से दाखिल अर्जेंसी एफीडेविट में कहा गया है कि दिल्ली गैंगरेप कांड के बाद राजधानी में 61 लड़कियां गायब हो चुकी हैं, जबकि देश के विभिन्न हिस्सों में बहुत सी लड़कियां बलात्कार की शिकार हुई हैं। कई बार तो अपराध में राजनेता और पुलिस वाले शामिल होते हैं, जिनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होती।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 31 फीसद सांसद और विधायक दागी हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें कई हत्या और बलात्कार जैसे अपराधों में आरोपी हैं। इनके मुकदमों की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालतों में होनी चाहिए। मुकदमा चलने तक इनकी सदस्यता और विशेषाधिकार निलंबित होने चाहिए। हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली में हुए गैंगरेप के खिलाफ देशभर में हजारों लोग पुलिस और सरकार के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का कार्यपालिका और विधायिका में विश्वास घट गया है।
सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षक और शीर्ष अदालत है। इसलिए यह अदालत देश की महिलाओं और बच्चियों की आशा की आखिरी किरण है। परिस्थितियों को देखते हुए याचिका में मांगे गये अंतरिम आदेशों पर तत्काल सुनवाई की जाए।
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