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दिल्‍ली चुनाव: बदलाव के लिए वोट डालेंगी सेक्स वर्कर

चार साल की बेटी को गोद में लिए एक सेक्स वर्कर अपने भविष्य को लेकर उतनी फिक्रमंद नहीं है, जितनी अपनी बेटी के भविष्य को लेकर। वह भावुक होकर कहती है कि किस्मत की ठोकर ने उसे कोठे तक पहुंचा दिया। उसकी किस्मत में कोठे की चारदीवारी ही लिखी है,

By T empEdited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 09:23 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 09:48 AM (IST)
दिल्‍ली चुनाव: बदलाव के लिए वोट डालेंगी सेक्स वर्कर

नई दिल्ली। चार साल की बेटी को गोद में लिए एक सेक्स वर्कर अपने भविष्य को लेकर उतनी फिक्रमंद नहीं है, जितनी अपनी बेटी के भविष्य को लेकर। वह भावुक होकर कहती है कि किस्मत की ठोकर ने उसे कोठे तक पहुंचा दिया। उसकी किस्मत में कोठे की चारदीवारी ही लिखी है, लेकिन वह अपनी बेटी को एक सामान्य जीवन देना चाहती है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव 7 फरवरी को हैं।

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वह कहती है कि इसके लिए जरूरी है कि राजनीतिक दल उसकी बातों को समझे। हालांकि, वह निराश है कि अब तक कोई उम्मीदवार उनके दरवाजे नहीं आया है। वह बच्चों के लिए चाहती हैं स्कूल। जीबी रोड की 25 इमारतों में कुल 116 कोठे हैं और इनमें करीब चार हजार सेक्स वर्कर रहती हैं। वर्ष 2008 में काफी प्रयास के बाद मतदाता सूची में इनके नाम जोड़ने का काम शुरू हुआ, इसके बाद करीब 1500 सेक्स वर्कर लोकतंत्र के महापर्व में भाग लेने लगी हैं। खास बात यह है कि इनकी अपनी कुछ मांगें हैं, जिन्हें यह प्रत्याशियों के सामने रखने की तैयारी में है। इसमें हेल्थ कार्ड, बच्चों के लिए हॉस्टल सहित स्कूल, जॉब लाइसेंस, मकान, साफ-सफाई और पेंशन तक शामिल है।

हालांकि, यहां सेक्स वर्करों की बड़ी तादाद ऐसी भी है जिन्हें अभी तक मतदान का अधिकार नहीं मिला है। ऐसा, इनके पास कोई जरूरी पहचान पत्र न होने के कारण है। सेक्स वर्कर चाहती हैं कि दिल्ली में ऐसी सरकार बने जो उनके और उनके बच्चों को लेकर संवेदनशील हो।

भारतीय पतिता उद्धार सभा के अध्यक्ष खैराती लाल भोला ने बताया कि मतदाता सूची में नाम दर्ज करने को लेकर एक हजार अन्य सेक्स वर्करों ने फॉर्म जमा कराए हैं। उम्मीद है कि वे भी आगामी चुनावों में मतदान में भाग ले सकेंगी। जीबी रोड स्थित कोठे दो विधानसभा क्षेत्र में आते हैं एक मटियामहल, दूसरे बल्लीमारान में।

एक अन्य सेक्स वर्कर कहती हैं कि ‘हमारा वोट जीने के लिए पड़ेगा, क्योंकि हम लोगों को समाज में जीने के काबिल नहीं माना जाता है। हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। हमारा वोट हमारे बच्चों की बेहतरी के लिए होगा।’ उद्धार सभा के सचिव इकबाल अहमद दावा करते हुए कहते हैं कि पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में यहां की 90 फीसद मतदाताओं ने मतदान किया था। इस बार भी यह रिकार्ड कायम रहेगा।

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