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    दिल्ली विस्फोट की जांच में बड़ा खुलासा, आतंकियों ने ईमेल ड्राफ्ट जरिए किया था संवाद; जानिए कैसे

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 12:33 AM (IST)

    लाल किले के पास हुए घातक विस्फोट में जांच एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में पाया गया कि आतंकियों ने अपने साथियों से बातचीत के लिए ईमेल का उपयोग किया था लेकिन ईमेल भेजा नहीं गया बल्कि उसको ड्राफ्ट में रखा था।

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    दिल्ली विस्फोट की जांच में बड़ा खुलासा, आतंकियों ने ईमेल ड्राफ्ट जरिए किया था संवाद

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लाल किले के पास हुए घातक विस्फोट में जांच एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में पाया गया कि आतंकियों ने अपने साथियों से बातचीत के लिए ईमेल का उपयोग किया था लेकिन ईमेल भेजा नहीं गया बल्कि उसको ड्राफ्ट में रखा था।

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    जांचकर्ताओं के अनुसार, संदिग्धों में डॉ. उमर उन नबी (जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने विस्फोट वाली कार चलाई थी) और उनके सहयोगी डॉ. मुजम्मिल गनाई और डॉ. शाहीन शाहिद शामिल थे, जो एक ही ईमेल खाते के माध्यम से संवाद करते थे। एक पुलिस सूत्र ने बताया कि उन्होंने ईमेल भेजने के बजाय उसे ड्राफ्ट में रख लेते थे।

    सूत्र ने बताया कि जिसको जो बात कहनी होती थी वह लॉग इन करने ड्राफ्ट में मैसेज छोड़ता था और उसे तुरंत हटा देता था, जिससे संचार का कोई डिजिटल निशान नहीं बचता था।

    पुलिस ने बताया कि निगरानी से बचने और उनकी बातचीत को रोकने के लिए यह तरीका चुना गया था, क्योंकि नेटवर्क पर कोई भी बात प्रसारित नहीं होती थी।

    अधिकारियों ने कहा कि यह तकनीक मॉड्यूल के भीतर उच्च स्तर की सावधानी और योजना को दर्शाती है, जिससे उन्हें पता लगाने योग्य चैनलों पर निर्भर हुए बिना षड्यंत्र से संबंधित गतिविधियों का समन्वय करने में मदद मिलती है।

    आतंकी मॉड्यूल के सदस्य भी लगातार संपर्क में थे, मुख्य रूप से थ्रीमा नामक स्विस संचार एप्लीकेशन और ऐसे अन्य ऐप्स के माध्यम से।

    पुलिस ने बताया कि उन्होंने कथित तौर पर आतंकवादी साजिश की योजना बनाने और समन्वय करने के लिए एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल किया, साथ ही वे अपने विदेशी संचालकों के संपर्क में भी रहे।

    एक सूत्र ने कहा कि पारंपरिक मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के विपरीत, थ्रीमा को पंजीकरण के लिए फोन नंबर या ईमेल आईडी की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे उपयोगकर्ताओं का पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

    यह ऐप प्रत्येक उपयोगकर्ता को एक विशिष्ट आईडी प्रदान करता है, जो किसी भी मोबाइल नंबर या सिम कार्ड से लिंक नहीं होती है, तथा निजी सर्वर पर चलाने के विकल्प के साथ एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन प्रदान करता है।

    जांचकर्ताओं को संदेह है कि आरोपी डॉक्टरों ने सुरक्षित संचार और पहचान से बचने के लिए एक निजी थ्रीमा सर्वर स्थापित किया था। इस सर्वर का इस्तेमाल कथित तौर पर दिल्ली विस्फोट की साजिश से जुड़े संवेदनशील दस्तावेजों, नक्शों और लेआउट को साझा करने के लिए किया गया था।