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रुझानों से कांग्रेस बेचैन, भाजपा में उत्साह

एक्जिट पोल के रुझानों ने कांग्रेस को नतीजों से पहले ही बेचैन कर दिया है। हालांकि कांग्रेस ने इन अनुमानों को कूड़ेदान में फेंकने वाला करार दिया, लेकिन पार्टी में इनके आधार पर भविष्य की सियासत पर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। पार्टी को अब भी उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ के साथ किसी एक और राज्य में उसकी सरकार बन सकत

By Edited By: Published: Fri, 06 Dec 2013 06:03 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2013 07:28 AM (IST)
रुझानों से कांग्रेस बेचैन, भाजपा में उत्साह

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एक्जिट पोल के रुझानों ने कांग्रेस को नतीजों से पहले ही बेचैन कर दिया है। हालांकि कांग्रेस ने इन अनुमानों को कूड़ेदान में फेंकने वाला करार दिया, लेकिन पार्टी में इनके आधार पर भविष्य की सियासत पर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। पार्टी को अब भी उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ के साथ किसी एक और राज्य में उसकी सरकार बन सकती है। भाजपा में उत्साह का माहौल है, लेकिन सिर्फ एक्जिट पोल के आधार पर बहुत खुशी जताने से पार्टी बच रही है।

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कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस दफा नतीजों से पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपनी जवाबदेही से नहीं बच पाएंगे। इस बार के विधानसभा चुनाव पूरी तरह राहुल की अगुआई और उनकी देखरेख में लड़े गए। मोदी बनाम राहुल हो चुकी सियासत के इस दौर में यदि वाकई नतीजा 4-0 रहा तो फिर लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने कांग्रेस का मनोबल बिल्कुल गिरा हुआ होगा। साथ ही इसके बाद मोदी की लहर बढ़ने की भी कांग्रेस को आशंका है।

पढ़ें: एक्जिट पोल का दावा: 4 राज्यों में भाजपा की बल्ले-बल्ले

वैसे एक्जिट पोल की क्लीन स्वीप थ्योरी से कांग्रेस पूरी तरह सहमत नहीं है। कांग्रेस को उम्मीद है वह छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बना लेगी और दिल्ली में खंडित जनादेश आएगा। राजस्थान और मध्य प्रदेश में उसके पास सिर्फ धूमिल सी आशा ही बची है। छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने का दावा कर रहे अजीत जोगी ने लंच देकर मुख्यमंत्री पद की अपनी दावेदारी और पुख्ता की। साथ ही छत्तीसगढ़ के तमाम नेताओं के साथ वह बृहस्पतिवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मिले। बहरहाल, कांग्रेस में संभावित नतीजों को लेकर अभी से चिंतन-मंथन शुरू हो गया है और माना जा रहा है कि यदि वाकई सबकुछ विपरीत गया तो पार्टी में बड़े पैमाने पर कुछ बदलाव देखे जा सकते हैं।

भाजपा के भीतर इन रुझानों से खासा उत्साह है। मगर भाजपा नेता सिर्फ इस आधार पर बड़े दावे करने से बच रहे हैं। भाजपा नेतृत्व बेहद सतर्क है और मत सर्वेक्षणों नहीं बल्कि नतीजों के बाद ही कुछ कहना चाहता है। वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली ने यह जरूर कहा कि कांग्रेस हार मान चुकी है और इसके कारण हैं महंगाई, भ्रष्टाचार और प्रेरक नेतृत्व की कमी।

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''एक्जिट पोल के नतीजे सौ फीसद सही नहीं होते, लेकिन कांग्रेस पूरी तरह अवसाद में है। ये हार के लक्षण हैं।'' -अरुण जेटली (राज्यसभा में विपक्ष के नेता)

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''ऐसे मत सर्वेक्षणों का कोई मतलब नहीं है। उन्हें कूड़ेदान में फेंक दिया जाना चाहिए।'' -दिग्विजय सिंह (कांग्रेस महासचिव)

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