कोरोना को रोकने में दिल्ली व यूपी का बेहतर प्रदर्शन, लॉकडाउन के कारण ग्रोथ फैक्टर में आई कमी
चीन से पहुंचे पांच लाख रैपिड टेस्टिंग किट को कोरोना के रेड जोन वाले जिलों में पहुंचाने का काम शुरू हो गया है। इनका उपयोग सर्विलांस में किया जाएगा।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कुल 19 राज्य कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये राज्य कोरोना की गति को कमजोर करने में सफल हो रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कोरोना के वायरस फैलने से रोकने में उतनी कामयाबी नहीं मिली है। साथ ही एक अहम बात यह है कि लॉकडाउन व अन्य कंटेनमेंट उपायों की वजह से कोरोना के मरीजों के ग्रोथ फैक्टर में 40 फीसदी की कमी आई है।
लॉकडाउन के बाद कोरोना के मरीजों की संख्या में सुधार
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार लॉकडाउन के पहले हर तीसरे दिन कोरोना के मरीजों की संख्या दोगुनी हो रही थी। लॉकडाउन के बाद इसमें लगातार सुधार आ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले सात दिन में पूरे देश में मरीजों की संख्या दोगुनी होने में औसतन 6.2 दिन लगे हैं, जो लॉकडाउन के पहले की तुलना में काफी बेहतर स्थिति है। इनमें भी 19 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में मरीजों की संख्या दोगुनी होने में राष्ट्रीय औसत 6.2 दिन से भी ज्यादा समय लग रहा है। यह दिखाता है कि इन राज्यों में कंटेनमेंट उपाय काम कर रहे हैं और वायरस को फैलने से रोकने में सफलता मिल रही है। इन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, लद्दाख, हिमाचलप्रदेश, चंडीगढ़, पुडुचेरी, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, असम और त्रिपुरा शामिल हैं।
महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही
जाहिर है महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मरीजों की संख्या ज्यादा तेजी से दोगुनी हो रही है। लव अग्रवाल ने कहा कि मरीजों की संख्या दोगुनी होने में लगने वाला समय यह दिखाता है कि जमीनी स्तर पर हम कैसा काम कर रहे हैं।
ग्रोथ फैक्टर में 40 फीसदी की आई कमी
दरअसल ग्रोथ फैक्टर को हर दिन आने वाले नए केस के आधार पर मापा जाता है। ग्रोथ फैक्टर को देंखे तो पाते हैं कि एक अप्रैल से अभी तक 1.2 है, जबकि इसके पहले 15 मार्च से 31 मार्च तक ग्रोथ फैक्टर 2.1 था। इस तरह से ग्रोथ फैक्टर में 40 फीसदी की कमी आई है। यह स्थिति तब है जब मार्च के मुकाबले अभी कई गुना ज्यादा कोरोना की टेस्टिंग हो रही है और इसमें सांस की तकलीफ और सर्दी-जुकाम-खांसी वाले गंभीर मरीजों को भी शामिल कर लिया है।
कोरोना के 80 फीसदी मरीज ठीक हो रहे हैं
वैसे कोरोना के बंद हो चुके केस (मरीज ठीक होकर घर जा चुका है या उसकी मौत हो चुकी है) में 80 फीसदी मामले सकारात्मक है। यानी 80 फीसदी मरीज ठीक हो रहे हैं और केवल 20 फीसदी मरीजों की मौत हो रही है। लव अग्रवाल ने कहा कि शायद हम दूसरे देशों से तुलना में बेहतर कर रहे हैं, लेकिन बेहतर निगरानी और इलाज उपलब्ध कराकर मौतों को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं।
रेड जोन में भेजे जा रहे रैपिड टेस्टिंग किट
गुरूवार को चीन से पहुंचे पांच लाख रैपिड टेस्टिंग किट को कोरोना के रेड जोन वाले जिलों में पहुंचाने का काम शुरू हो गया है। इनका उपयोग कोरोना के वायरस की पुष्टि के लिए जांच में नहीं किया जाएगा, बल्कि केवल सर्विलांस में किया जाएगा। इस किट के सहारे रेड जोन वाले इलाकों में आम लोगों का सैंपल टेस्ट कर यह पता लगाया जाएगा कि वहां कोरोना का वायरस आम लोगों में कितना फैल चुका है। इसके आधार पर ही वहां वायरस के रोकथाम के लिए रणनीति बनाई जाएगी।