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कागजों में सिमटा विकास, 'लड़ाई' में ही बीते दो साल

केंद्र और एलजी से लड़ाई में बीता अधिकतर समय...

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 14 Feb 2017 12:48 AM (IST)Updated: Tue, 14 Feb 2017 03:21 AM (IST)
कागजों में सिमटा विकास, 'लड़ाई' में ही बीते दो साल
कागजों में सिमटा विकास, 'लड़ाई' में ही बीते दो साल

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। सरकार के एजेंडा में भले ही विकास हो, मगर दो साल में अधिकतर समय केंद्र और उपराज्यपाल से लड़ाई में ही बीता है। इसका सीधा असर दिल्ली के विकास पर पड़ा है। किसी भी क्षेत्र में बेहतर काम के लिए दिल्ली आज भी इंतजार कर रही है। कई घोषणाएं कागजों में ही रह गई हैं।

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दिल्ली सरकार के पास तर्क है कि काम नहीं करने दिया गया। फिर भी सरकार का दावा है कि तमाम बाधाओं से लोहा लेने के साथ साथ सरकार अपना काम आगे बढ़ा रही है। 70 बिंदुओं वाला चुनावी घोषणापत्र विकास योजनाओं का मुख्य बिन्दु है। सरकार का काम करने का अपना तरीका है। कोई फिजूल खर्ची नहीं है, न ही वातानुकूलित कमरों में ही बैठ कर अब कोई प्लान बन रहे। अब सरकारी विभागों में विकास कार्यों के फर्जी बिल नहीं बन रहे। पिछले दो साल दिल्ली में सरकार ने कई फैसले लिए हैं।

दिल्ली को विश्व स्तर का शहर बनाने की अब बात नहीं होती। न ही भ्रष्टाचार मिटाने पर चर्चा होती है। दिल्ली डायलॉग के जरिए जो चुनावी वादे किए थे, उसमें बिजली व पानी को छोड़ दें तो सरकार शहर के विकास से संबंधित एक भी परियोजना नहीं शुरू कर पाई है। परिवहन व्यवस्था चरमराई हुई है,स्कूलों की खस्ता हालत सुधारने के लिए 500 नए स्कूल नहीं खुल सके हैं। स्कूलों में आठ हजार कमरे बनाने की योजना लक्ष्य से पीछे है। 13 कॉलेजों की नई इमारतों के निर्माण की योजना कहीं नजर नहीं आ रही है।

सड़कों की जर्जर हालत है। जिन सड़कों की हालत में सुधार चार माह पहले होना था, वे अभी तक खराब हैं। आप सरकार फ्लाईओवर व कॉरिडोर बनाने की शीला दीक्षित सरकार के समय शुरू की गईं योजनाओं को ही अब तक पूरा कर सकी है। जबकि सरकार अपने समय की फ्लाईओवर या कॉरिडोर बनाने की एक भी योजना शुरू नहीं कर सकी है। इन योजनाओं के प्रस्ताव तैयार करने के लिए देश विदेश के अपने क्षेत्र के बड़े नामों से राय ली गई थी।

¨सगापुर, हांगकांग तक में चल रहीं विभिन्न प्रकार की योजनाओं का अध्ययन कराया गया था। मगर अब इन सब पर चर्चा तक नहीं होती। सरकार एक भी नए अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू नहीं करा सकी है। नए अस्पतालों के निर्माण की जगह पिछली सरकार के कार्यकाल में जिन अस्पतालों की नींव रखीं गई थी। सरकार द्वारा उन योजनाओं की समीक्षा करा कर उनमें ही कुछ फेरबदल करने की बात कही गई है।

मोहल्ला सभा का अब कहीं अता पता नहीं है। दो साल में 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का दावा करने वाली सरकार अब तक मात्र सवा सौ के करीब ही मोहल्ला क्लीनिक खोल सकी है। आम आदमी कैंटीन की गरीब लोग आस लगाए बैठे हैं। दिल्ली के विकास के जुड़ी तमाम योजनाएं इस समय ठहरी हुई हैं। अनधिकृत कालोनियों के लोगों की कोई सुध लेने वाला नहीं है।

उधर सरकार का दावा है कि उनकी नीयत साफ है। सरकार का कहना है कि जो अभी तक चलता रहा है वह अब नहीं चल रहा। जिससे कुछ लोगों को परेशानी हो रही है। और वे काम नहीं होने दे रहे। विकास की योजनाएं और भी तेजी से बढ़ेंगी, मगर समीक्षा हर काम की होगी।

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