Make In India: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- हमारे 'मेक इन इंडिया' में मेक फॉर द वर्ल्ड भी शामिल
एयरो-इंडिश शो 2023 के दौरान भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र में उभरती ताकत के रूप में पेश करने की तैयारियों के बीच राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा निर्माण क्षेत्र भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और उभरते अवसरों को भुनाने के लिए तैयार है। फोटो- rajnathsingh
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एयरो-इंडिश शो 2023 के दौरान भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र में उभरती ताकत के रूप में पेश करने की तैयारियों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा निर्माण क्षेत्र भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और उभरते अवसरों को भुनाने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। देश में हल्के लड़ाकू विमानों और हल्के बहु-उपयोगी हेलिकॉप्टर का हो रहा निर्माण इसका सबूत है। ड्रोन, साइबर-टेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रडार आदि के उत्पादन में भी भारत तेजी से कदम बढ़ा रहा है। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ मानने की व्यवस्था में विश्वास नहीं करता और मेक इन इंडिया के तहत भारत की पहल न तो दुनिया में हमें अलग-थलग करती है और न ही यह केवल अकेले उसके राष्ट्रीय हित के लिए हैं। भारत खुली साझेदारी के साथ राष्ट्रों की संप्रभुता और समानता की अवधारणा का सदैव हिमायती रहा है।
रक्षा मंत्री ने की राजदूतों की राउंड टेबल बैठक को संबोधित
एशिया के सबसे बड़े एयर शो के रूप में चर्चित एयरो-इंडिया शो को लेकर राजदूतों की राउंड टेबल बैठक को यहां संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह आयोजन एयरोस्पेस उद्योग सहित भारतीय विमानन-रक्षा उद्योग को अपने उत्पादों, प्रौद्योगिकियों और समाधानों को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। रक्षा और एयरोस्पेस उद्योगों में प्रमुख उद्यमियों और निवेशकों के अलावा, यह आयोजन दुनिया भर के प्रमुख रक्षा थिंक-टैंक और रक्षा से संबंधित निकायों की भागीदारी का गवाह बनेगा। साथ ही विमानन उद्योग में सूचनाओं, विचारों और नए तकनीकी विकास के आदान-प्रदान के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा।
बेंगलुरू में 13 से 17 फरवरी तक होगा एयरो-इंडिया शो
बेंगलुरू में 13 से 17 फरवरी तक होने वाले एयरो-इंडिया शो में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के हैरत अंगेज प्रदर्शन इसका सबसे बड़ा आकर्षण होगा। रक्षामंत्री के साथ इस बैठक में करीब 80 देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों और मिलिट्री अटैची ने हिस्सा लिया। रक्षामंत्री ने राजदूतों के जरिए इन तमाम देशों को एयरो इंडिया में आमंत्रित करते हुए कहा कि हम ग्राहक या सेटेलाइट राज्य बनाने की धारणा में विश्वास नहीं रखते और भारत जब भी किसी भी देश के साथ साझेदारी करता है तो यह संप्रभु समानता और आपसी सम्मान के आधार पर होता है। रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भी साझेदारी और संयुक्त प्रयास के इन दो प्रमुख शब्दों के साथ सहयोग की राह भारत को दुनिया से अलग करती है। भारत विश्व व्यवस्था की उस अवधारणा में विश्वास नहीं रखता जिसमें कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ माना जाता है।
मेक-इन-इंडिया की पहल में मेक-फॉर-द-वर्ल्ड शामिल
रक्षा मंत्री ने कहा कि इसलिए हमें यह कहने में गुरेज नहीं कि हमारी मेक-इन-इंडिया की पहल में मेक-फॉर-द-वर्ल्ड शामिल है। रक्षा अनुसंधान और विकास और उत्पादन में संयुक्त प्रयास और साझेदारी की हमारी पहल तमाम देशों के लिए एक खुली पेशकश है। राजनाथ ने कहा कि जब हम अपने मूल्यवान साझेदार देशों से रक्षा उपकरण खरीद रहे होते हैं, तो अक्सर वे भारत से तकनीकी जानकारी साझा करते हैं और इसके लिए हमारे यहां फैक्ट्री स्थापित करने से लेकर देशी कंपनियों से साझेदारी करते हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत का प्रयास है कि खरीदार और विक्रेता के संबंध को एक सह-विकास और सह-उत्पादन मॉडल से आगे बढ़ाया जाए चाहे हम खरीदार हों या विक्रेता। इस मौके पर उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले पांच वर्षों में भारत का रक्षा निर्यात आठ गुना बढ़ा है और अब हम 75 से अधिक देशों को निर्यात कर रहे हैं।