अमेरिका से 145 हल्की तोपों की खरीद को मंजूरी
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अमेरिका से 145 हल्की तोपों की खरीद को मंजूरी दे दी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को अमेरिका से 145 एम777 अल्ट्रालाइट होवित्जर आर्टिलरी गन्स (बेहद हल्की तोपें) की खरीद को मंजूरी दे दी। यह सौदा करीब 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर का होगा। बोफोर्स घोटाले के बाद पिछले तीन दशकों में इस तरह की हथियार प्रणाली की यह पहली खरीद होगी। इसके अलावा 18 स्वदेशी 'धनुष' आर्टिलरी गन्स के उत्पादन को भी स्वीकृति दे दी गई है।
पर्रीकर की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद का फैसला
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने 28 हजार करोड़ रुपये की नई योजनाओं समेत 18 प्रस्तावों को विचार के लिए शामिल किया था। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने हल्की तोपों की खरीद प्रक्रिया बताते हुए कहा कि भारत ने चीन से लगती सीमा पर अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात की जाने वाली इन तोपों की खरीद में रुचि दिखाते हुए अमेरिकी सरकार को एक पत्र लिखा था। अमेरिकी से स्वीकृति पत्र मिलने के बाद डीएसी ने नियम और शर्तो पर विचार किया और इसे मंजूरी दे दी।
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अब इस आशय का पत्र अमेरिका को भेजा जाएगा और पहली किश्त के भुगतान की प्रक्रिया आरंभ होगी। इन तोपों की निर्माता 'बीएई सिस्टम्स' भारत में महिंद्रा के साथ साझेदारी में 20 करोड़ डॉलर के निवेश से असेंबली इंटीग्रेशन एंड टेस्ट फेसीलिटी यूनिट स्थापित करेगी। अमेरिकी से 25 तोपें बिल्कुल तैयार हालत में भारत आएंगी जबकि बाकी को भारतीय इकाई में जोड़कर तैयार किया जाएगा।
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डीएसी ने देसी बोफोर्स के नाम से विख्यात स्वदेशी 'धनुष' तोपों के निर्माण में प्रगति पर भी संतोष व्यक्त किया। ऐसी तीन तोपें 30 जून को उपयोगकर्ता को इस्तेमाल के लिए सौंपीं जाएंगी। इसके बाद तीन और तोपों को सितंबर में सौंपा जाएगा। 80 के दशक के आखिर में बोफोर्स तोप खरीद सौदे के तहत तकनीक हस्तांतरण के पहले चरण में मिले 12 हजार पन्नों के दस्तावेजों के अध्ययन के बाद कोलकाता स्थित आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड में इन तोपों का विकास किया गया है। इनकी मारक क्षमता 38 किलोमीटर है।
परिषद की बैठक में एक अन्य परियोजना को भी आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) प्रदान की गई। इसके तहत नौसेना अगली पीढ़ी के छह मिसाइल वाहक पोतों के निर्माण के लिए निविदाएं जारी कर सकेगी। इनका निर्माण 'भारतीय खरीद श्रेणी' में 13,600 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना है।