LAC में बदलाव बर्दाश्त नहीं करेगा भारत, रक्षा मंत्री ने NSA और सेना प्रमुखों के साथ हालात की समीक्षा की
पूर्वी लद्दाख पर चीन के अड़ियल रुख पर रक्षा मंत्री ने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की। इसमें कहा गया कि एलएसी में बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा...
नई दिल्ली, एजेंसियां। पूर्वी लद्दाख पर चीन के अड़ियल रुख को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को सुरक्षा से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की। बैठक में दोनों देशों की जारी बातचीत और चीन की सेना के पीछे जाने पर हो रही प्रगति पर विचार-विमर्श किया गया। साफ संदेश दिया गया कि भारत एलएसी में बदलाव के प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेगा और कड़ा जवाब देगा। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के प्रमुख जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने, नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने हिस्सा लिया।
तनाव नहीं घटाना चाहता है चीन
बैठक में मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बनी गतिरोध की स्थिति पर चर्चा की गई। चीन के रुख को देखते हुए भविष्य की रूपरेखा पर विचार किया गया। चीन से अभी तक हुई बातचीत और उसकी सेना के कदमों से यह निष्कर्ष निकलकर आया है कि पड़ोसी देश पूर्वी लद्दाख पर सामान्य स्थिति बहाल करने को लेकर गंभीर नहीं है। वह अग्रिम मोर्चो पर अपने अवैध कब्जे को बरकरार रखने पर अड़ा हुआ है। बातचीत के जरिये समय को लंबा खींच रहा है और इस दौरान अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है।
पीछे नहीं हटेगी भारतीय सेना
चीन की सेना ने कोरोना के गंभीर संक्रमण के दौर में मई के शुरुआती दौर में भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया था। शुरुआती बातचीत के बाद चीन जब पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ तो दोनों देशों के सैनिकों के संघर्ष में 21 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे जबकि मुकाबले में 40 से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गए थे। भारत का जोर है कि चीनी सेना पीछे हटे और घुसपैठ से पूर्व की अप्रैल वाली स्थिति कायम हो। लेकिन चीन टालमटोल की नीति अपनाकर समय बढ़ा रहा है। चीन के रुख को देखकर भारतीय सेनाएं अपनी तैयारियों को धार दे रही हैं। इस बार ठंड के बर्फबारी वाले मौसम में भी इलाका खाली न करने का सेना ने फैसला किया है।
एलएसी में बदलाव स्वीकार्य नहीं
चीन के साथ बातचीत में भारतीय सेना ने साफ कर दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में बदलाव की चीनी मंशा उसे स्वीकार नहीं है। अगर चीन की सेना अपने कदम वापस नहीं खींचती है तो उसे दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। सूत्रों के अनुसार भारतीय सेना के कड़े रुख को देखते हुए चीन वापसी का बहाना तलाश रहा है लेकिन उसे वह बहाना फिलहाल नहीं मिल रहा। इसके चलते दोनों देशों के बीच कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ता ढाई महीना बीतने पर भी निर्णायक मुकाम पर नहीं पहुंची है। गुरुवार को भी दोनों देशों के अधिकारियों ने फिर से वार्ता की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया था कि दोनों देश समस्या के त्वरित समाधान के इच्छुक हैं। वे ऐसा पूर्व के समझौतों और परंपराओं के आधार पर करना चाहते हैं।
सैन्य कमांडरों ने चीन सीमा पर चर्चा की
पूर्वी लद्दाख स्थित चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच नई दिल्ली में सेना के कमांडरों ने दो दिन तक चर्चा की। इसमें देश की पूरी उत्तरी सीमा के हालात पर विचार विमर्श किया गया। सेना ने बताया है कि इस दौरान देश की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सैन्य तैयारियों का जायजा लिया गया और चुनौतीपूर्ण स्थितियों का मुकाबला करने के लिए कदम उठाने पर चर्चा हुई। 20 और 21 अगस्त को हुई यह बैठक सैन्य कमांडरों के नियमित सम्मेलन से इतर थी। बैठक में कमांडरों ने एलएसी और अन्य सीमाओं पर हालात से सेना प्रमुख जनरल नरवाने को अवगत कराया। इसी बैठक के निष्कर्षों पर नई दिल्ली में शनिवार को रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में चर्चा हुई।