डिफेंस एक्सपो-2018: भारत ने दुनिया को दिखाई अपनी ताकत
दक्षिण भारतीय शहर चेन्नई में डिफेंस एक्सपो 2018 का औपचारिक उद्घाटन तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज करेंगे
चेन्नई (एजेंसी)। दक्षिण भारतीय शहर चेन्नई में डिफेंस एक्सपो 2018 का औपचारिक उद्घाटन तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज करेंगे, लेकिन समुद्र के किनारे आयोजित होने वाले इस एक्सपो के 10वें संस्करण के द्वार रक्षा क्षेत्र के व्यापारियों के लिए बुधवार को ही खोल दिए गए। साथ ही भारत ने दुनिया को अपनी ताकत दिखा दी। चार दिवसीय इस प्रदर्शनी में भारत के रक्षा और सार्वजनिक क्षेत्र की ताकत देखने को मिलेगी। साथ ही रक्षा क्षेत्र में देश के बढ़ते निजी उद्योग को भी उजागर करेगी।
एक्सपो में 47 देशों की भागीदारी
इस एक्सपो में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, अफगानिस्तान स्वीडन, फिनलैंड, इटली, मैडागास्कर, म्यांमार, नेपाल, पुर्तगाल, सेशेल्स और वियतनाम समेत 47 देशों ने भागीदारी की है। चार दिनों तक चलने वाले इस एक्सपो में लाइव प्रदर्शन, फ्लाइंग डिस्प्ले, सेमिनार और अन्य कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
चेन्नई में बुधवार को डिफेंसएक्सपो में क्रिकेटर महेंद्र सिंह धौनी भी पहुंचे। उन्होंने सैन्यकर्मियों का उत्साह बढ़ाया और साथ में फोटो खिंचवाई।
रक्षा प्रदर्शनी के इस 10वें संस्करण में पहली बार रक्षा क्षेत्र में देश की ताकत को दिखाने के लिए अलग से‘भारत पवेलियन’ बनाया गया है। इस प्रदर्शनी के जरिये यह दिखाने की कोशिश की गई है कि भारत रक्षा सिस्टम और उपकरणों के निर्यात में एक ब्रांड बनने की ओर अग्रसर है। खास बात यह है कि प्रदर्शनी में रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले छोटे-छोटे उपकरणों को बनाने में भारत के प्राइवेट सेक्टर की बढ़ती ताकत को दिखाने की कोशिश की गई है।
प्रदर्शनी में 517 भारतीय और 154 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने स्टाल लगाए हैं। प्रदर्शनी में हिस्सा ले रही भारतीय कंपनियों में टाटा, एलएंडटी, भारत फोर्ज, र्मंहद्रा, एमकेयू, डीआरडीओ, एचएएल, बीईएल, बीडीएल, बीईएमएल, एमडीएल, जीआरएसई, जीएसएल, एचएसएल, मिधानी और आयुध निर्माणी ने अपने-अपने स्टाल लगाए हैं। अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में एल.मार्टिन, अमेरिका की दिग्गज विमान निर्माता कंपनी बोईंग, स्वीडेन की साब, एयर बस, फ्रांस की राफेल, रूस की यूनाइटेड शिप र्बिंल्डग, यूके की बीएई सिस्टम्स, इजराइल की सिबत ने यहाँ अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए स्टाल लगाए हैं। इस प्रदर्शनी में हिस्सा लेने के लिए 47 देशों का प्रतिनिधिमंडल भी चेन्नई आया है, जिसमें 13 प्रतिनिधिमंडल मंत्री स्तर के हैं। यूएसए, यूके, अफगानिस्तान, फिनलैंड, इटली, म्यांमार, नेपाल, पुर्तगाल, रिपब्लिक आफ कोरिया, वियत नाम के मंत्री स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी रुचि दिखाई है।
नौसेना के जहाजों को देखेगी जनता
डिफेंस एक्सपो के दौरान भारतीय नौसेना के जहाजों को आम जनता करीब से देख सकेगी। 13 से 15 अप्रैल के दौरान यह सुविधा रक्षा मंत्रालय आम जनता को देगा। चेन्नई बंदरगाह पर आम जन को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक इन जहाजों को देखने की सहूलियत मिलेगी। हालांकि सुरक्षा मानकों को देखने के बाद ही उन्हें यह सुविधा मिलेगी। आइसलैंड एक्जिबिशन ग्राउंड से शटल बस सर्विस उपलब्ध होगी। चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट ने यह सुविधा उपलब्ध कराई है।
पांच साल से नीचे के बच्चों को जहाज पर जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ जहाज पर बैग, कैमरा पानी की बोतल, छतरी व छड़ी जैसी चीजें ले जाने की अनुमति नहीं होगी। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि जनता युद्धक जहाजों के बारे में उत्सुकता रखती है। इस वजह से डिफेंस एक्सपो के दौरान यह सुविधा उन्हें दी गई है कि वह इन्हें देख सकें।
सेना के लिए धन की कोई कमी नहीं
रक्षा मंत्री रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए उपकरण और हथियारों की खरीद के लिए कोष की कमी को लेकर सेना की चिंताओं को दरकिनार कर दिया। रक्षा मंत्री ने बुधवार को कहा, चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि सशस्त्र बलों के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध करा दिए गए हैं। संसद की स्थायी समिति से सेना ने कहा था कि वह कोष की भारी कमी का सामना कर रही है। जब दो मोर्चों पर युद्ध की आशंका है तब आपात खरीदारी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां तक कि चीन और पाकिस्तान रक्षा बलों के आधुनिकीकरण में जोर शोर से जुटे हैं। पिछले महीने संसदीय समिति की रिपोर्ट संसद में पेश की जा चुकी है। यहां डिफेंस एक्सपो में प्रेस द्वारा समिति की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा, ‘संसद की स्थायी समिति ने बहुत कुछ कहा है। मेरी इच्छा है कि आप समिति की पूरी रिपोर्ट पढ़ें।’
सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सारथ चंद ने कुछ दिनों पहले संसदीय समिति से कहा था कि 2018-19 के बजट में रक्षा के लिए पर्याप्त कोष का आवंटन नहीं किए जाने से सेना के आधुनिकीकरण पर प्रभाव पड़ेगा। यह प्रभाव उस समय पड़ेगा जब चीन की सेना अमेरिका के स्तर पर पहुंचने जा रही है। कोष की कमी का असर मौजूदा उपकरणों और यहां तक कि पूर्व की खरीदारी की किश्त चुकाने पर भी होगा। उप प्रमुख की टिप्पणी के बारे में सीतारमण ने सीधा जवाब नहीं दिया। लेकिन कहा कि कुछ हिस्सों द्वारा यह कहा जाना कि रक्षा मंत्रालय कुछ नहीं कर रहा है सही नहीं है।
110 लड़ाकू जेट खरीद प्रक्रिया बंद नहीं होगी
110 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया शुरू होने के कुछ दिनों बाद भारत ने विश्व के बड़े विमान निर्माताओं को आश्वस्त किया है कि यह प्रक्रिया पूर्व की तरह विफल नहीं होगी। 2016 में 126 जेट की खरीद प्रक्रिया विफल रही थी। रक्षा सचिव संजय मित्रा ने कहा कि सरकार की सजगता को लेकर भयभीत होने की जरूरत नहीं है। ये 110 लड़ाकू विमान वायुसेना के लिए खरीदे जाएंगे।