शिक्षण संस्थानों के लिए अब डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं होगा आसान
डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा अब हर शैक्षणिक संस्थान को नहीं मिल सकेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा अब हर शैक्षणिक संस्थान को नहीं मिल सकेगा। इसके लिए संस्थान में अब ढाई सौ नियमित शिक्षकों और पांच हजार से ज्यादा छात्रों का रजिस्ट्रेशन होना जरूरी होगा। इसके अलावा भी संस्थानों को डीम्ड का दर्जा हासिल करने के लिए लगातार दो साल तक नैक की पात्रता पर भी खरा उतरना होगा। जो संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता की जांच करता है।
-ढाई सौ नियमित शिक्षकों के साथ पांच हजार से ज्यादा छात्रों का होना होगा अनिवार्य
-नैक के मापदंड पर संस्थानों की जांची जाएगी शैक्षणिक गुणवत्ता
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डीम्ड विश्वविद्यालय के नए नियम-कायदे बनाने में जुटी यूजीसी को हाल ही में इससे जुड़े कुछ अहम सुझाव दिए है। इस दौरान डीम्ड संस्थानों को गुणवत्ता को मजबूत बनाने पर पूरा जोर दिया जा रहा है। मौजूदा समय में डीम्ड संस्थानों को लेकर यूजीसी के पास अलग-अलग तरह की शिकायतें मिलती रहती है। इनमें योग्य शिक्षकों के ना होने की भी एक बड़ी शिकायत रहती है।
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो सरकार की कोशिश है कि डीम्ड संस्थानों में नियमित फैकेल्टी की नियुक्ति हो, साथ ही विवि में छात्र और शिक्षकों का औसत भी राष्ट्रीय मानक के मुताबिक है। मौजूदा समय में यह मानक प्रत्येक 20 छात्र पर एक फैकेल्टी का है। लेकिन मौजूदा समय में कम ही ऐसे संस्थान है, जो इसका पालन करते है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो यूजीसी ने मंत्रालय की ओर से दिए गए सुझावों पर काम शुरू कर दिया है। इसे लेकर जल्द एक नया कानून सामने आ सकता है।
मौजूदा समय में देश भर के डीम्ड विश्वविद्यालय का संचालन यूजीसी के वर्ष 2016 में तैयार किए गए नियमों के तहत होता है, लेकिन पिछले दिनों जिस तरीके से डीम्ड संस्थानों को लेकर सरकार की किरकिरी हुई, उसके बाद सरकार ने मौजूदा जरूरतों को देखते हुए इनके लिए नए नियम-कायदे तैयार करने प्रस्ताव दिया था। जिसे मंत्रालय से स्वीकार करते हुए अपनी ओर से भी कुछ सुझाव दिए है।
गौरतलब है कि डीम्ड विश्वविद्यालय को लेकर उठे विवाद के बाद ऐसे सभी संस्थानों को अपने नाम से विश्वविद्यालय शब्द को हटाना पड़ा था।