Move to Jagran APP

अयोध्या विवाद में पहले होगी मस्जिद पर बहस

मुस्लिम पक्षकारों ने फैसले में दी गई व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए मामले को पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ को भेजे जाने की मांग की है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 09:49 PM (IST)Updated: Wed, 14 Mar 2018 09:49 PM (IST)
अयोध्या विवाद में पहले होगी मस्जिद पर बहस
अयोध्या विवाद में पहले होगी मस्जिद पर बहस

माला दीक्षित, नई दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे में पहले मस्जिद पर बहस होगी। सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा कि नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का जरूरी हिस्सा न बताने वाले इस्माइल फारुकी के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है कि नहीं। मुस्लिम पक्षकारों ने फैसले में दी गई व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए मामले को पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ को भेजे जाने की मांग की है।

loksabha election banner

सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 1994 में अयोध्या में भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाले डाक्टर एम. इस्माइल फारुकी के मामले में 3-2 के बहुमत से दी गई व्यवस्था में कहा है कि नमाज के लिए मस्जिद इस्लाम धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है। मुसलमान कहीं भी नमाज अदा कर सकते हैं। यहां तक कि खुले में भी नमाज अदा की जा सकती है। ये बात फैसले के पैराग्राफ 82 में कही गई है। मुस्लिम पक्षकार एम. सिद्दीकी के वकील राजीव धवन ने गत 5 दिसंबर को इस फैसले पर सवाल उठाते मामला पुनर्विचार के लिए संविधानपीठ को भेजे जाने की मांग की थी।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने राम जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई शुरू करते हुए धवन से कहा कि वे पहले इस्माइल फारुकी के फैसले पर पुनर्विचार की मांग पर सुनवाई करेंगे। वे कोर्ट को संतुष्ट करें कि फैसले में दी गई व्यवस्था संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ और उस पर पुनर्विचार की जरूरत है। अगर कोर्ट को जरूरी लगा तो मामला पुनर्विचार के लिए पांच जजों की संविधान पीठ को भेजा जा सकता है। इसके बाद धवन ने फारुकी के फैसले को गलत ठहराने वाली दलीलें देनी शुरू की। 

कोर्ट तय करे कि मस्जिद का क्या मतलब है

धवन ने कहा कि कोर्ट पहले तय करे कि मस्जिद का क्या मतलब है? फारुकी के फैसले में कहा गया है कि मुसलमान कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो मस्जिद है कि नहीं। धवन ने कहा कि तो क्या इसे यह कहा जाएगा कि मस्जिद धर्म का जरूरी हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी जमीन का अधिग्रहण कर सकती है, लेकिन उससे वहां प्रार्थना करने का अधिकार खत्म नहीं होता। दी गई व्यवस्था मुस्लिमों को संविधान के अनुच्छेद 25 में प्राप्त मौलिक अधिकार का हनन करती है। ये कैसे कहा जा सकता है कि फलां मस्जिद महत्वपूर्ण है और फलां नहीं। या किसी मंदिर अथवा चर्च के बारे में ऐसी बात कैसे कही जा सकती है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद ढहने के बावजूद कानून की निगाह में उसका मस्जिद होना खत्म नहीं होता। हमारे धर्म निरपेक्ष ढांचे में अगर जरा भी सम्मान की भावना होगी तो मस्जिद का दोबारा निर्माण होना चाहिए। उनकी बहस जारी है। मामले पर 23 मार्च को फिर सुनवाई होगी।

हस्तक्षेप अर्जियां खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि मामले में पक्ष रखने का हक मांगने वाली सभी हस्तक्षेप अर्जियां और मामले में सुलह के बिंदु पेश करने का दावा करने वालों की मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने सभी अर्जियां खारिज कर दीं।

कोर्ट नहीं कह सकता सुलह के लिए

कोर्ट ने आज साफ किया कि वह इस मामले में कोर्ट से बाहर सुलह की पहल के लिए किसी को भी नियुक्त नहीं कर रहा। पीठ ने कहा कि ऐसे मामले में कोर्ट सुलह के लिए किसी को कैसे बाध्य कर सकता है या कह सकता है। साथ ही कहा कि अगर कोई समझौता वार्ता कर रहा है तो कोर्ट उसे रोक भी नहीं रहा। पीठ ने सुलह के सुझाव दे रहे लोगों से कहा कि वे कोर्ट को इस बारे मे न समझाएं बल्कि पक्षकारों से बात करें। अगर उनके वकील कोर्ट से कहेंगे कि उन्होंने आपसी सुलह से निपटारा कर लिया है तो कोर्ट उसे रिकार्ड करेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.