खबरदार! भारत में सबसे अधिक है स्ट्रोक और डायबिटीज का खतरा
पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में स्ट्रोक के कारण चार गुना अधिक लोगों की जान जाती है। वहीं, हृदय संबंधी रोगों के कारण तीन गुना से भी अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ती है।
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में स्ट्रोक के कारण चार गुना अधिक लोगों की जान जाती है। वहीं, हृदय संबंधी रोगों के कारण तीन गुना से भी अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ती है। यह चिंताजनक स्थित ब्रिटेन के शोधकर्ताओं द्वारा किए नवीन विश्लेषण में सामने आई है। ब्रिटेन के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन में आया सामने, संपन्न राष्ट्रों की तुलना में कम और मध्यम आय वाले देशों में इन बीमारियों के कारण अधिक लोगों की जान जाती है।
चौंकाने वाले हैं आंकड़े
इसके अलावा इस विश्लेषण के आंकड़े यह भी बताते हैं कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में कैंसर के कारण छह गुना ज्यादा लोगों की जान जाती है। वहीं, डायबिटीज के कारण जान गंवाने वालों की संख्या तीन गुनी है। नेचर नामक जर्नल में प्रकाशित अध्यन में बताया गया है कि कैंसर, स्ट्रोक व हृदय संबंधी बीमारियां विकसित राष्ट्रों की तुलना में विकासशील देशों में खतरनाक तरह से बढ़ रही हैं।
विश्लेषण में यह आया सामने
शोधकर्ताओं द्वारा विश्लेषण के नतीजे बताते हैं कि कम और मध्यम आय वाले उष्णकटिबंधीय देशों में एक लाख लोगों में से 90 की मौत का कारण हृदय संबंधी बीमारियां होती हैं। वहीं, अधिक आय वाले राष्ट्रों में यह दर एक लाख लोगों पर 61 है। इसके अलावा स्ट्रोक के कारण कम और मध्यम आय वाले राष्ट्रों में एक लाख में से 49 लोगों की जान जाती है, जबकि अमीर देशों में यह संख्या 22 है।
सर्वाइकल और लीवर कैंसर
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि संपन्न राष्ट्रों की तुलना में कम और मध्यम आय वाले उष्णकटिबंधीय देशों में सर्वाइकल, पेट और लीवर कैंसर के कारण मरने वालों की संख्या अधिक है। डायबिटीज की बात करें तो कम और मध्यम आय वाले उष्णकटिबंधीय राष्ट्रों में एक लाख में जहां 32 लोगों की मौत इस बीमारी के कारण होती है, वहीं अमीर राष्ट्रों में यह संख्या 11 है।
कैसी बनें यहां पर योजनाएं
इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक मजीद इजाती कहते हैं, भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में इस तरह से योजनाएं तैयार करनी चाहिए ताकि कैंसर, डायबिटीज, हृदय, किडनी जैसी जानलेवा बीमारियों का शुरुआती स्तर में ही पता लगाया जा सके।
पता न चल पाने के ये हैं कारण
भारत में इन बीमारियों का कारण मृत्युदर अधिक होने की वजह इनका शुरुआती स्तर में पकड़ में नहीं आना है। चूंकि इसके कारण बीमारी का उपचार देरी से शुरू हो पाता है इसलिए देश को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।
एनसीडीएस बीमारियां
प्रोफेसर इजाती और डॉ. जेम्स बेनेट द्वारा संयुक्त रूप से किए गए इस अध्ययन में सामने आया है कि पश्चिमी राष्ट्रों की तुलना में कम और मध्यम आय वाले उष्णकटिबंधीय देशों में नॉन कम्यूनिकेबल डिसीजेज (गैर संचारी रोगों (एनसीडीएस)) के कारण मौतें अधिक होती हैं। एनसीडीएस वे बीमारियां होती हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती हैं। जैसे कैंसर, डायबिटीज, किडनी, लीवर की बीमारियां, मानसिक व हृदय संबंधी रोग आदि।
इन देशों से प्राप्त किए आंकड़े
शोधकर्ताओं ने अफ्रीका, दक्षिणपूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका के कम और मध्यम आय वाले 80 उष्णकटिबंधीय देशों के आंकड़े एकत्र किए। इनकी तुलना पश्चिमी देशों के आंकड़ों से की गई। इसके आधार पर वैज्ञानिक निष्कर्ष पर पहुंचे।
दवाओं के अलावा क्या है कारगर तरीका
आपको बता दें कि डायबिटीज, कैंसर समेत दूसरी कई बीमारियों को दूर रखने में कुछ फल बेहद कारगर साबित होते हैं। इन फलों के सेवन से न सिर्फ बीमारियों को दूर रखा जा सकता है बल्कि इन्हें ठीक करने में भी ये काफी मददगार साबित होते हैं। ऐसे ही कुछ फलों के बारे में आपको यहां पर हम जानकारी दिए देते हैं।
अनार के लाल-लाल दाने सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। इसके पेड़ की लकड़ी काफी मजबूत होती है। - इसके जूस में फ्रुक्टोज होता है, इसलिए मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है। अनार का सेवन शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बहार निकालने में मददगार होता है। जिससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव होता है।
अमरूद सेहत के लिहाज से एक शानदार फल माना जाता है। अमरूद की तासीर ठंडी होती है। इसका सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। आयुर्वेद में अमरूद और इसके बीजों के सेवन के कई लाभ गिनाए गए हैं। इसमें मौजूद विटामिन और खनिज शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाने में मददगार होते हैं। कैंसर एक भयानक बीमारी है, लेकिन आप अमरूद खाते हैं, तो आप कैंसर होने की आशंका से बच सकते हैं। इसमें लाइकोपीन, क्वेरसेटिन, विटामिन सी और अन्य तत्व पाए जाते हैं। ये मानव शरीर में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं और कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं। अमरूद प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करते हैं और स्तन कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है। अमरूद में फाइबर कॉन्टेंट काफी अधिक होता है, जो डायबिटीज के विकास को रोकता है। अमरूद में मौजूद फाइबर से शरीर में शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। इसका फायबर कब्ज को दूर करने में भी मददगार होता है। अमरूद के बीज पेट साफ करने के लिए अच्छे साबित होते हैं। यह वजन कम करने में भी बेहतरीन साबित होता है क्योंकि इसे खाने से भूख नहीं लगती है और ज्यादा फैट भी नहीं होता है।
फालसा बहुत लाभदायक होता है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। इसमें मौजूद विटामिन और खनिज तत्व हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
सहजन के पत्ते राइबोफ्लेविन में समृद्ध होने के कारण ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस तरह से वह डायबिटीज के लक्षणों का प्रभावी ढंग से इलाज करता है।
वूड एप्पल या कैथा ऐसा ही फल है जिसका पेड़ बिना किसी ज्यादा मशक्कत के अपने आप उग जाता है यह फल कोलेस्ट्राल तथा ब्लड प्रेशर को नियंत्रण करता है। डायबिटीज में रामबाण साबित होता है।
कल्पवृक्ष के बीजों का तेल हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसके तेल में एचडीएल (हाईडेंसिटी कोलेस्ट्रॉल) होता है। इसके फलों में भरपूर रेशा (फाइबर) होता है। मानव जीवन के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व इसमें मौजूद रहते हैं।
ब्रेन ट्यूमर में सबसे कारगर थेरेपी है गामा नाइफ, लेकिन ये हर जगह उपलब्ध नहीं
एक तो वैसे ही राज्यों में डूब रही थी कांग्रेस, रही सही कसर राहुल ने पूरी कर दी
आम मुद्दों से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें