Move to Jagran APP

सामने खड़ी थी ‘मौत’, हिम्मत और धैर्य के साथ भिड़ गई आठ साल की नन्ही हिमप्रिया

नन्ही जांबाज हिमाप्रिया को इस अदभुत धैर्य व साहस के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 10:57 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 10:58 AM (IST)
सामने खड़ी थी ‘मौत’, हिम्मत और धैर्य के साथ भिड़ गई आठ साल की नन्ही हिमप्रिया
सामने खड़ी थी ‘मौत’, हिम्मत और धैर्य के साथ भिड़ गई आठ साल की नन्ही हिमप्रिया

ऊधमपुर, अमित माही। 10 फरवरी 2018, सुबह ने अपनी पहली अंगड़ाई भी नहीं ली थी कि जम्मू का सुजवां स्थित सैन्य शिविर गोलियों और धमाकों से गूंज उठा। सायरन बजने लगे। समझ में आ गया कि आतंकी हमला हुआ है। आतंकी फायरिंग करते हुए शिविर में सेना के फैमिली क्वार्टर में घुसना चाह रहे थे। मंशा थी सैन्य परिवारों को बंधक बनाना। इसी एक फैमिली क्वार्टर में साढ़े आठ साल की नन्ही गुरगु हिमप्रिया का एक आतंकी से सीधा मुकाबला हो गया। वह न डरी और न घबराई बल्कि आतंकी को इस कदर उलझाए रखा कि सेना को घेराबंदी का समय मिल गया। नतीजा उसकी मां व बहनों की जान बच गई।

loksabha election banner

हिमाप्रिया उस दिन की कहानी याद करते हुए बताती है कि अगर वह डर जाती तो उस दिन पूरा परिवार मारा जाता। अब इस नन्ही जांबाज को इस अदभुत धैर्य व साहस के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है। उस दौरान गुरगु हिमप्रिया के पिता गुरुगु सत्यनारायण सेना की उत्तरी कमान की 611(1) एडी, बीडीआइ, एसआइडी कंपनी में तैनात थे। ऊधमपुर में फैमिली क्वार्टर उपलब्ध न होने की वजह से उनकी पत्नी गुरुगु पद्मावति और तीनों बेटियां हिमाप्रिया, ऋषिता(6) व अवद्रिका(3) जम्मू के सुंजवां सैन्य शिविर में फैमिली क्वार्टर में रह रही थीं। उस सुबह पांच फिदायीन कैंप में घुस आए थे। दो को सेना के जवानों ने जवाबी कार्रवाई में ढेर कर दिया। दो अन्य एक खाली मकान में छिप गए।

लेकिन एक फिदायीन ने उनके क्वार्टर में घुसने के लिए दरवाजा तोड़ने का प्रयास करने लगा। अपनी मां के साथ मिल कर हिमाप्रिया ने दरवाजे को कवर करने का प्रयास किया। इसी बीच उस आतंकी ने ग्रेनेड से दरवाजा उड़ा दिया। इस धमाके में हिमाप्रिया की मां गंभीर तौर पर घायल हो गई। हिमाप्रिया को भी चोटें आईं। पर खुद की चिंता को भूल वह मां को होश में लाने का प्रयास करती रही। उनके चेहरे पर पानी छिड़का। तब तक आतंकी घर में दाखिल होकर उनको बंधक बना चुका था। मौत को सामने देख हिमाप्रिया घबराई नहीं और बिना किसी डर के धैर्य और सूझबूझ के साथ आतंकी से लगातार बात करती रही और उसे उलझाए रखा। बीच-बीच में वह अपनी मांग को अस्पताल पहुंचाने का आग्रह करती रही।

हिमाप्रिया के लगातार बात करने से आतंकी परेशान होकर स्थान बदलता रहा। मगर हिमाप्रिया भी उसके पीछे उसके पास पहुंच जाती। इस दौरान आतंकी ने कई बार उसे बंदूक दिखा व ग्रेनेड दिखा कर जान से मारने की धमकी देकर डराया। उसके पिता और उनके रैंक सहित अन्य जानकारी मांगी। मगर हिमाप्रिया ने बिना डरे कुछ नहीं बताया। इस दौरान सेना की एक्शन टीम पूरी तरह रंग में आ चुकी थी और आतंकियों की घेराबंदी शुरू कर दी थी।

खुद को घिरता देख आतंकी गोलीबारी करता हुआ जैसे ही दूसरी तफ भागा, हिमाप्रिया ने मौका पाकर सेना के जवानों तक पहुंच कर उनकी मदद से अपनी घायल मां को इलाज के लिए पहुंचाया। इसी बीच जवानों ने आतंकी को ढेर कर दिया। हिमाप्रिया सभी के सकुशल बचने को ईश्वर की कृपा बताती है। उसने कहा जब तक आतंकी घर में नहीं घुसा था, तब तक थोड़ा डर लग रहा। जब आतंकी अंदर आ गया, तो मां घायल थी। उसे मां और बहनों को बचाने के अलावा कुछ भी नहीं सूझ रहा था। यहां तक जब आतंकी ने बंदूक दिखा कर डराया तब भी नहीं।

उसने कहा कि हिम्मत और धैर्य के साथ निडर होकर काम करने से सफलता मिलती है। अगल उस दिन वह डर जाते तो आतंकी निश्चित ही उन सबको मार देता। उसने बताया कि फिलहाल उनकी मां का इलाज दिल्ली में चल रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.