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पोस्टमॉर्टम हाउस में बदला शव, मुस्लिम बुजुर्ग का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार, मजिस्‍ट्रेटी जांच के आदेश

ग्वालियर में जयारोग्य अस्पताल के पोस्टमॉर्टम हाउस में मुस्लिम बुजुर्ग का शव हिंदू परिवार को सौंप दिया गया। परिवार ने शव का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर दिया। पढ़ें रिपोर्ट

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 08:51 PM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 08:51 PM (IST)
पोस्टमॉर्टम हाउस में बदला शव, मुस्लिम बुजुर्ग का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार, मजिस्‍ट्रेटी जांच के आदेश
पोस्टमॉर्टम हाउस में बदला शव, मुस्लिम बुजुर्ग का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार, मजिस्‍ट्रेटी जांच के आदेश

ग्वालियर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जयारोग्य अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां के पोस्टमॉर्टम हाउस में मुस्लिम बुजुर्ग का शव हिंदू परिवार को सौंप दिया गया। इसके बाद परिवार ने शव का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी कर दिया। वहीं जब मुस्लिम परिवार रविवार को शव लेने पहुंचा तो शव बदलने की जानकारी सामने आई। जांच में पता चला कि बॉडी कवर पर पर्ची नहीं लगी थी। हिंदू परिवार भी स्वजन का शव पहचान नहीं पाए लिहाजा शव बदल गया। अब हिंदू परिवार ने अस्थियां मुस्लिम परिवार को सौंप दी है जिन्‍हें मुस्लिम परिवार ने कब्रिस्तान में दफना दिया है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने घटना की मजिस्‍ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं।

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खुलासे के बाद अधिकारियों में हड़कंप

प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, मुरैना के गणेशपुरा निवासी 65 वर्षीय इर्तजा मोहम्मद हाथ में इंफेक्शन के चलते जयारोग्य अस्पताल में भर्ती थे। बीते 13 अगस्त को उनका निधन हो गया। अस्पताल प्रशासन ने कोरोना की जांच रिपोर्ट आने के बाद शव को परिजनों को सुपुर्द करने की बात कही। 15 अगस्त की शाम रिपोर्ट निगेटिव आने पर स्वजन शव लेने पहुंचे। पोस्टमार्टम हाउस में रखे पांच शवों में से इर्तजा के बेटे हैदर को शव पहचानने को कहा गया। हैदर ने पिता का शव गायब होने की बात कही। इसके बाद तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया। रजिस्टर में एंट्री और शवों का मिलान किया गया।

इसलिए हुई गड़बड़ी

पता चला कि 14 अगस्त को ग्वालियर के शिंदे छावनी के निवासी 50 वर्षीय सुरेश बाथम की भी मौत हुई थी। उसी दिन सुरेश का शव उनका बेटा राजा ले गया था लेकिन पता चला की सुरेश का शव तो अस्‍पताल में ही मौजूद है। राजा ने पोस्टमार्टम हाउस में रखे एक शव को अपने पिता का शव बताया। उसने स्वीकार किया कि गलती से वह पिता की जगह किसी अन्य का शव ले गया था। बताया जाता है कि पोस्टमार्टम हाउस में सभी शवों को कवर पैक करके रखा गया था लेकिन किसी पर पहचान की पर्ची नहीं चिपकाई गई थी। राजा को शव का चेहरा दिखाया गया था, उसने पिता के रूप में पहचान की।

नियमों की हुई अनदेखी

घर पर भी अंतिम संस्कार से पहले स्वजन ने शव के दर्शन किए पर पहचान नहीं सके। अब स्वजन ने वास्तविक सुरेश का अंतिम संस्कार किया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जो नियम बनाए गए हैं उनके अनुसार जिस यूनिट में भर्ती मरीज की मौत होती है। उस यूनिट के डॉक्टर कोरोना की जांच रिपोर्ट आने तक शव को कवर में पैक कर उस पर मरीज के नाम की पर्ची चिपकाकर पोस्टमार्टम हाउस में रखवा देते हैं। जब मरीज की रिपोर्ट आ जाती है तब उसी यूनिट के डॉक्टर शव सुपुर्द करने के लिए पर्चा बनाकर स्वजनों को देते हैं और अपनी उपस्थिति में शव की पहचान कराकर सुपुर्द करते हैं।

न्यायिक जांच के आदेश

जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ ने कहा कि कोरोना मरीज की मौत पर शव रखने से लेकर अंतिम संस्कार के लिए अलग से समिति बनी हुई है लेकिन संदिग्ध की मौत पर संबंधित यूनिट को ही शव रखवाने से लेकर सुपुर्द कराने का दायित्व है। स्वजन से सुरेश का शव पहचानने में गलती हुई है। आगे की जांच की जा रही है। वहीं इंदरगंज के सिटी एसपी मुनीष राजौरिया ने बताया कि सुरेश का शव उसके स्वजनों को सौंप दिया और इर्तजा की अस्थियां उनके बेटों के सुपुर्द करवा दी गई हैं। मामले में न्यायिक जांच के आदेश दि‍ए जा चुके हैं।  


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