Daughter's Day 2019: देश में करीब 2 करोड़ बेटियां हैं बिन बुलाई मेहमान, पढ़ें
हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को Daughters day मनाया जाता है। लेकिन अभी भी लड़को की ही चाहत में लड़कियां पैदा हो रही हैं।
नई दिल्ली,जागरण डेस्क। कई बार सुना होगा की भगवान को जो घर सबसे ज्यादा पसंद आता है उसी घर में बेटियां होती है। आज Daughter's day है यानी बेटियों का दिन। जिस तरह से आज बेटियां जीत के परचम लहरा रही हैं उस हिसाब से सभी दिन बेटियों के नाम ही हैं। लेकिन, हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को Daughter's day मनाया जाता है।
भले ही लड़कियां आज सभी क्षेत्रों में लड़को के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हो। लेकिन, अभी भी लड़को की ही चाहत में लड़कियां पैदा हो रही हैं। इन अनचाही लड़कियों की संख्या करीब 2 करोड़ 10 लाख है। ये आंकड़े है भारत के 2017-18 के आर्थिक सर्वे के। इस सर्वे के लिए SLRC को पैमाना माना गया। SLRC यानी परिवार में पैदा हुए आखिरी बच्चों का लिंग अनुपात जिसमें स्वास्थ्य और जनसांख्यिकी सर्वे के आंकड़ों को देखा गया। मतलब की परिवारों में लड़का पैदा होने के बाद आगे कोई बच्चा नहीं किया गया।
लड़के की चाहत में आई 2 करोड़ 10 लाख बेटियां
भारत में ये कोई नई मानसिकता नहीं है सदियों से बेटियों को लेकर लोगों की यही सोच रही है। नया तो ये आंकड़ा है जो बताता है कि बेटे की चाहत में 2 करोड़ 10 लाख अनचाही बेटियों का जन्म हुआ है।
लड़के के जन्म के बाद बच्चा पैदा करने के बारे में नहीं सोचते लोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, प्राकृतिक तौर पर जन्म का लिंग अनुपात 1.05 होता है। इसका मतलब है कि 105 लड़कों पर 100 लड़कियां। लेकिन भारत में यह लिंग अनुपात बदलता दिखाई दे रही है। भारत में हर बच्चे के जन्म के साथ लिंग अनुपात बदल जाता है।
एक से ज्यादा परिवार वाले भारतीय परिवारों में पहले बच्चे का लिंह अनुपात 1.07 है। ये तो प्राकृतिक अनुपात के करीब है। लेकिन, यदि पहले और आखिरी बच्चा हो तो लिंग अनुपात काफी हद तक असंतुलित और लड़को की तरफ झुका हुआ दिखाई देगा। सरल शब्दों में बताएं तो 182 लड़कों पर 100 लड़कियां। यानी की लड़का पैदा होने के बाद लोग दूसरा बच्चा पैदा करने के बारे में कम ही सोचते हैं।
ये आंकड़े सच में चौकानें वाले हैं। भारत जैसे देश में जहां लड़कियों के देवी की तरह पूजा जाता है। वहां लड़कियों की ही संख्या कम होना थोड़ा निराशाजनक है।