Move to Jagran APP

मजदूर की बेटी एक दिन के लिए बनीं जिला कलेक्टर, जानें- क्या- क्या किए काम

एक दिन के लिए जिला कलेक्टर बनने के बाद 16 साल की एम.श्रावणी ने कहा कि हम जानवरों की देखभाल करना और अपने आसपास के इलाके को साफ रखना भूल गए हैं। एक दिन की जिला कलेक्टर ने कहा कि वो शिक्षक बनना चाहती हैं ।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 08:30 AM (IST)
मजदूर की बेटी एक दिन के लिए बनीं जिला कलेक्टर, जानें- क्या- क्या किए काम
कलेक्टर की कुर्सी पर बैठी 16 वर्षीय एम. श्रावणी की फाइल फोटो

अनंतपुर, एएनआई। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में 16 वर्षीय एम. श्रावणी को 11 अक्तूबर को एक दिन की कलेक्टर बनने का मौका मिला। श्रावणी के पिता किसान हैं और मां मजदूरी करती हैं। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पढ़ने वाली इंटरमीडिएट की 16 साल की छात्रा एम.श्रावणी गर्ल्स सेलिब्रेशन डे के मौके पर एक दिन की कलेक्टर बनीं। दरअसल एक दिन जिला कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने और काम करने के लिए लॉटरी सिस्टम के जरिए नाम निकाला गया था। यह लॉटरी जिला कलेक्टर कार्यालय में मीडिया से जुड़े लोगों की मौजूदगी में निकाला गया। जिला कलेक्टर गंधम चंद्रूडू ने बालिका भविष्यतू कार्यक्रम लॉन्च किया है।

loksabha election banner

इस कार्यक्रम का मकसद समाज में लड़कियों को आदर देने और उन्हें उनका अधिकार दिलाने के लिए लोगों को जागरुक करना था। एक दिन के लिए जिला कलेक्टर बनने के बाद 16 साल की एम.श्रावणी ने कहा कि हम जानवरों की देखभाल करना और अपने आसपास के इलाके को साफ रखना भूल गए हैं। एक दिन की जिला कलेक्टर ने कहा कि वो शिक्षक बनना चाहती हैं और उनका कहना था कि यह धारणा जरुरी है कि स्कूल के सभी ड्रॉपआउट भी शिक्षित ही होते हैं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी जानकारी दी। जावड़ेकर ने बताया कि जिले के सभी सरकारी कार्यालयों के प्रमुख के रूप में जिला प्रशासन ने एक लड़की को अवसर देने का फैसला किया था। 

 एक दिन की जिला कलेक्टर ने किया यह काम

 एम.श्रावणी को काम के दौरान एक फाइल दी गई। यह महिला एक महिला को 25,000 रुपए मुआवजा देने से संबंधित थी। यह महिला एससी/एसटी एक्ट के तहत एक पीड़िता थी। श्रावणी ने पूरी फाइल को ध्यान से पढ़ा और फिर सही जगह पर हस्ताक्षर किये। जिला कलेक्टर कार्यालय में मौजूद गैर सरकारी संस्था से जुड़े लोग और अन्य लोग सरवाणी की बुद्धिमता के कायल हो गए थे। श्रावणी को उनके काम में मदद के लिए आरडीटी हॉस्पिटल  के निदेशक विशाल फेरर और अस्पताल के अध्यक्ष भानुजा मौजूद थे। श्रावणी ने एक अन्य फाइल पर साइन किये इस फाइल पर हस्ताक्षर करने के बाद राज्य प्रशासन की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है कि जो भी महिलाएं घरेलू कार्य के अलावा नौकरी कर रही हैं वैसी महिलाओं से रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक कोई भी ऑफिशियल काम नहीं लिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.