Move to Jagran APP

दलित हो सकता है कि रामजन्मभूमि मंदिर का पुजारी, जल्‍द हो सकता है ट्रस्‍ट के गठन का ऐलान

अयोध्या में प्रस्तावित रामजन्मभूमि मंदिर का पुजारी कोई दलित हो सकता है। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद सरकार की ओर से ट्रस्ट का गठन कर दिया जाएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 10:13 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 01:38 AM (IST)
दलित हो सकता है कि रामजन्मभूमि मंदिर का पुजारी, जल्‍द हो सकता है ट्रस्‍ट के गठन का ऐलान
दलित हो सकता है कि रामजन्मभूमि मंदिर का पुजारी, जल्‍द हो सकता है ट्रस्‍ट के गठन का ऐलान

 नीलू रंजन, नई दिल्ली। अयोध्या में प्रस्तावित रामजन्मभूमि मंदिर का पुजारी कोई दलित हो सकता है। इसके लिए संत रामानंद की परंपरा का हवाला दिया जा रहा है, जिसमें संत कबीर और संत रविदास जैसे संत हुए थे। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद सरकार की ओर से ट्रस्ट का गठन कर दिया जाएगा। लेकिन इस ट्रस्ट को सरकारी व राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर पूरी तरह स्वायत्त बनाया जाएगा। यहां तक कि रामजन्मभूमि के लिए पिछले साढ़े तीन दशक से आंदोलन कर रहे विश्व हिंदू परिषद का भी कोई पदाधिकारी ट्रस्ट में नहीं होगा।

loksabha election banner

योग्‍यता के अधार पर नियुक्‍त होगा पुजारी

रामजन्मभूमि मंदिर के प्रस्तावित ट्रस्ट के गठन को लेकर सरकार के साथ विचार-विमर्श से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इसमें समाज का कोई भी उचित गुणवत्ता का व्यक्ति इसका पुजारी हो सकता है। संत रविदास खुद दलित थे, इसीलिए रामजन्मभूमि मंदिर में दलित पुजारी होने पर कोई पाबंदी नहीं हो सकती है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पुजारी का पद भी वंशानुगत नहीं होगा, बल्कि योग्यता के आधार पर ही नियुक्त किया जाएगा।

ट्रस्ट की स्वायत्तता पहली प्राथमिकता

वैसे तो अभी तक ट्रस्ट की पूरी रूपरेखा सामने नहीं आई है। लेकिन माना जा रहा है कि रामजन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट 11 सदस्यीय हो सकता है। जिसमें सरकारी प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के जिलाधिकारी या फैजाबाद के कमिश्नर के साथ ही एक केंद्र के अधिकारी को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को सदस्य बनाने का निर्देश दे दिया है। सदस्यों को लेकर विचार-विमर्श का दौर अभी जारी है। जिसमें यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी ऐसे व्यक्ति को इसमें स्थान नहीं मिल जाए, तो मंदिर निर्माण के लिए अपना पूरा समय नहीं दे पाए। इसी तरह सरकार के सामने ट्रस्ट की स्वायत्तता पहली प्राथमिकता है, ताकि भविष्य में इसका बेजा इस्तेमाल नहीं हो सके।

रामजन्मभूमि न्यास को मिल सकता है स्थान

अमित शाह पहले ही साफ कर चुके हैं कि भाजपा का कोई भी नेता ट्रस्ट में शामिल नहीं होगा। विहिप ने भी साफ कर दिया कि उसका कोई पदाधिकारी सीधे तौर पर ट्रस्ट का सदस्य नहीं होगा। लेकिन पिछले तीन दशक से रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण की तैयारी में जुटे रामजन्मभूमि न्यास को इसमें स्थान मिल सकता है और संत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का सदस्य बनाया जा सकता है। रामजन्मभूमि न्यास को स्थान मिलने से उसके द्वारा अभी तक मंदिर के लिए तैयार निर्माण सामग्री को ट्रस्ट में स्थानांतरित करना आसान हो जाएगा। न्यास ने प्रस्तावित रामजन्मभूमि मंदिर का एक नक्शा भी तैयार कर रखा है और उस नक्शे के अनुरूप 60 फीसदी निर्माण सामग्री भी तैयार है।

आम जनता से जुटाया जाएगा धन

अमित शाह के राम मंदिर के लिए सरकारी धन के उपयोग नहीं किये जाने के ऐलान के बाद साफ हो गया है कि इसके लिए आम जनता से धन जुटाया जाएगा। विहिप के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वैसे तो धन संग्रह की रूपरेखा ट्रस्ट खुद तय करेगा, लेकिन इसमें जनता की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.