Move to Jagran APP

दलित आंदोलन हुआ हिंसक, केंद्र ने यूपी और एमपी में भेजे रैपिड एक्‍शन फोर्स के 800 जवान

सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 05:37 PM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 05:37 PM (IST)
दलित आंदोलन हुआ हिंसक, केंद्र ने यूपी और एमपी में भेजे रैपिड एक्‍शन फोर्स के 800 जवान
दलित आंदोलन हुआ हिंसक, केंद्र ने यूपी और एमपी में भेजे रैपिड एक्‍शन फोर्स के 800 जवान

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एसएसी/एसटी एक्ट) को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में आज बंद का बुलाया गया। दलित और आदिवासी संगठनों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन का सबसे ज्‍यादा प्रभाव उत्‍तर प्रदेश और मध्‍यप्रदेश में देखने को मिल रहा है। देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुआ। कई जगह तोड़फोड़ व अगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं। दंगा प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्‍थापित करने के लिए केंद्र द्वारा 800 दंगा-विरोधी पुलिसकर्मियों को भेजा गया।

loksabha election banner

मेरठ में आज दलित और आदिवासी संगठनों के विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। इस दौरान कई वाहनों को फूंक दिया गया, वहीं पुलिस चौकियों में भी आगजनी की खबरें मिल रही हैं। गृह मंत्रालय ने बताया कि मेरठ में शांति स्‍थापित करने के लिए रैपिड एक्‍शन फोर्स की दो कंपनियों को भेजा गया। उधर यूपी के ही आगरा और हापुड़ में भी रैपिड एक्‍शन फोर्स की एक-एक कंपनी तैयान की गई। रैपिड एक्‍शन फोर्स की दो कंपनियां मध्‍यप्रदेश के भोपाल और ग्‍वालियर में भेजा गया। मध्‍यप्रदेश में एक छात्र नेता की फायरिंग में मौत और कई अन्‍य के घायल होने पर हालात बेकाबू हो गए। हालात को काबू करने के लिए मुरैना, ग्‍वालियर और भिंड जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया। मध्‍यप्रदेश के ग्‍वालियर और मुरैना में विरोध प्रदर्शन के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई है।

उत्‍तर प्रदेश के कई जिलों में भी हिंसक प्रदर्शन की खबरें सुनने को मिल रही हैं। हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान आजमगढ़ में दो राज्‍य सरकार की बसों को आग के हवाले कर दिया गया। हापुड़, आगरा और पश्चिमी यूपी के कुछ क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया।

केन्द्र सरकार ने एससी एसटी एक्ट में तत्काल एफआइआर और तुरंत गिरफ़्तारी पर रोक के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। सरकार ने कोर्ट से याचिका पर खुली अदालत में बहस और सुनवाई की मांग की है। याचिका में सरकार ने तर्क दिया कि फ़ैसले से कानून का उद्देश्य कमज़ोर होगा। पुनर्विचार याचिका मे सरकार ने अभियुक्त के लिए अग्रिम जमानत के रास्ते खोलने का विरोध किया और कहा कि इसका अभियुक्त दुरुपयोग करेगा और पीड़ित को धमका सकता है, साथ ही जांच भी प्रभावित कर सकता है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो। कोर्ट ने कहा था कि केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी पूरे मामले की प्रारंभिक जांच करेगा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि कुछ मामलों में आरोपी को अग्रिम ज़मानत भी मिल सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.