Move to Jagran APP

चीन से तनाव को लेकर सेनाओं को मिला आपात जरूरतों के लिए 300 करोड़ तक की खरीद का अधिकार

रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को आपातकालीन ऑपरेशनल जरूरतों के लिए तीनों सेनाओं को 300 करोड़ तक के अलग-अलग पूंजीगत खरीद कार्यक्रम के विशेष अधिकार प्रदान कर दिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 06:54 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 10:18 PM (IST)
चीन से तनाव को लेकर सेनाओं को मिला आपात जरूरतों के लिए 300 करोड़ तक की खरीद का अधिकार
चीन से तनाव को लेकर सेनाओं को मिला आपात जरूरतों के लिए 300 करोड़ तक की खरीद का अधिकार

नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर तनाव के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को आपातकालीन ऑपरेशनल जरूरतों के लिए तीनों सेनाओं को 300 करोड़ तक के अलग-अलग पूंजीगत खरीद कार्यक्रम के विशेष अधिकार प्रदान कर दिए। अधिकारियों के मुताबिक खरीद कार्यक्रमों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन आपातकालीन जरूरतों के तहत प्रत्येक खरीद की लागत 300 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

loksabha election banner

डीएसी की बैठक में फैसला, खरीद की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में उक्त फैसला लिया गया। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि इस फैसले से खरीद में लगने वाले समय में कमी आएगी, छह महीनों में ऑर्डर देना सुनिश्चित हो सकेगा और एक साल के भीतर आपूर्ति शुरू हो सकेगी।

बयान के मुताबिक डीएसी की यह बैठक उत्तरी सीमाओं पर वर्तमान सुरक्षा माहौल और देश की सीमाओं की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों को मजबूत करने की जरूरत के मद्देनजर बुलाई गई थी। मालूम हो कि चीन के साथ तनाव के चलते तीनों सेनाओं ने पिछले कुछ हफ्तों में कई सैन्य उपकरणों, हथियारों और प्रणालियों की खरीद शुरू की है।

रक्षा गलियारों से घटेगी आयात पर निर्भरता : श्रीपद नाइक

चेन्नई। रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों (डिफेंस कॉरिडोर) की स्थापना से रक्षा एवं एयरोस्पेस से जुड़ी स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन हो सकेगा जिससे देश के आयात में कमी आएगी और निर्यात बढ़ेगा।

सीआइआइ और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैनुफैक्चरर्स द्वारा आयोजित एक कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए नाइक ने कहा कि भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग को रक्षा उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ज्यादा जिम्मेदारी लेनी होगी ताकि 2025 तक 25 अरब डॉलर के घरेलू उत्पादन के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि ये रक्षा गलियारे पूर्ण नियोजित और कुशल औद्योगिक आधार के रूप में कार्य करेंगे जिससे देश में रक्षा उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। नाइक ने कहा कि वैश्विक एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस, रिपेयर और ऑपरेशन (एमआरओ) एक बड़ा उद्योग है जो मजबूत दर से बढ़ रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.