टाटा समूह ने साइरस की योग्यता ही नहीं मंशा पर उठे सवाल
टाटा समूह ने पूरे आंकड़ों के साथ मिस्त्री के कार्यकाल में समूह की सारी कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर मिस्त्री के प्रबंधन क्षमता को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। प्रतिष्ठित टाटा समूह में साइरस मिस्त्री को हटाए जाने का विवाद अब निम्नतम स्तर तक पहुंच गया है। टाटा समूह ने उन्हें निष्कासित ही नहीं किया बल्कि उनकी मंशा पर सवाल भी उठाए। नौ पन्नों के पत्र में उन्हें परोक्ष रूप से नकारा करार देते हुए कहा कि कहा गया कि उन्होंने समूह बढ़ाने की ईमानदारी कोशिश ही नहीं की।
टाटा समूह ने पूरे आंकड़ों के साथ मिस्त्री के कार्यकाल में समूह की सारी कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर मिस्त्री के प्रबंधन क्षमता को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इसमें कहा गया है कि मिस्त्री के सीधे नियंत्रण वाली समूह की 40 कंपनियों से मिलने वाली लाभांश की राशि उनके कार्यकाल में 1000 करोड़ रुपये से घट कर 780 करोड़ रुपये रह गई। इस दौरान खर्चे बढ़ गये लेकिन घाटे वाली कंपनियों को सुधारने की कोई कोशिश नहीं की गई। टाटा संस को लगातार तीन वर्षो तक संचालन हानि हुई।
मिस्त्री के कौशल पर एक अन्य आरोप यह लगाये गये हैं कि उन्होंने नियुक्ति के समय समूह में सुधार के लिए जो प्रस्ताव पेश किये थे उन्हें भी लागू नहीं किया गया। इस दौरान समूह पर कर्ज का बोझ बढ़ा लेकिन निवेश पर रिटर्न कम हुआ। मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान 69,877 करोड़ रुपये कर्ज की राशि बढ़ कर 2,25,740 करोड़ रुपये की हो गई। मिस्त्री ने जिस तरह से समूह की यूरोपीय स्टील ऑपरेशन और दूरसंचार कंपनी डोकोमो के साथ रिश्तों को देखा उस पर भी निशाना बनाया गया है। कार बाजार में टाटा मोटर्स की बाजार हिस्सेदारी 13 फीसद से घट कर 5 फीसद रहने की बात भी कही गई है।
टाटा संस ने मिस्त्री की मंशा को लेकर आशंका जताई है और कहा है कि वह कभी भी समूह की असल समस्याओं को दूर करने के लिए गंभीर नहीं थे। उन्होंने मीडिया व निवेशकों के सामने हमेशा कंपनी की गलत तस्वीर पेश की। मिस्त्री के मीडिया साक्षात्कारों को आधार बना कर कहा है कि वह जिस तरह की शब्दावली (वृद्धि के साथ मुनाफा, बाजार पूंजीकरण में दुनिया की चोटी की 25 कंपनियों में शामिल होना) का इस्तेमाल करते हैं वह बहुत ही किताबी है। हालांकि इन बातों को अमली जामा पहनाने के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया।
मिस्त्री की तरफ से टाटा समूह की कंपनियों पर 18 करोड़ रुपये की राशि को छिपाने के आरोप को बिल्कुल बेबुनियाद बताते हुए उन्हें गलत सूचना देने और पूरे समूह पर नियंत्रण के लिए शातिराना रवैया अपनाने की बात कही गई है। समूह ने कहा है कि मिस्त्री के नेतृत्व में जिस तरह से टाटा समूह का पुराना व सफला ढांचा गिर रहा था उसे कई वर्षो तक चुपचाप बर्दास्त किया गया।
सनद रहे कि मिस्त्री को अप्रत्याशित फैसले के तहत टाटा संस के निदेशक बोर्ड ने 24 अक्टूबर, 2016 को निष्कासित कर दिया था। पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को कार्यकारी चेयरमैन बनाया गया है। हटने के बाद मिस्त्री ने टाटा संस पर मनमाने तरीके से उन्हें हटाने का आरोप लगाया है। मिस्त्री ने भी एक पत्र लिख कर पूर्व चेयरमैन रतन टाटा पर कई गंभीर आरोप लगाये थे।