लोकसभा चुनाव 2019: फर्जी वोट पर चुनाव आयोग की नजर, साइबर सुरक्षा भी बड़ मुद्दा
आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग पूरी तरह मुस्तैदी से काम में जुट गया है।
नई दिल्ली [शिवांग माथुर]। एक तरफ जहां राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगे हैं, वही चुनाव आयोग ने भी आम चुनाव की तैयारियां तेज कर दी है। आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों की विशेष समीक्षा करते हुए निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को राज्यों के वरिष्ठ चुनाव अधिकारियों के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन किया। जिसमें राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, चंडीगड़ आदि राज्यों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में चुनाव से जुडी बातों और साइबर सुरक्षा के मसले पर गहन चिंतन किया गया। साइबर सिक्योरिटी के मद्देनजर सुरक्षा के उपायों और डेटा की सुरक्षा इस कार्यक्रम का बड़ा मकसद था। आयोग ने इस वर्कशॉप में देश के जानेमाने आईटी प्रोफेशनल्स और इस मामले से जुड़े देश भर के जानकारों को बुलाया था, जिसमें अधिकारियों को साइबर सुरक्षा के तमाम पहलुओं से अवगत कराया गया। चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए राजनैतिक दलों की शंकाओं का समाधान करने पर भी इस वर्कशॉप में खासा जोर दिया गया।
बता दें कि आयोग द्वारा की गई इस समीक्षा के दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अधिकारियों को मतदाता सूचियों की गड़बडि़यों एवं मतदान केन्द्रों की अव्यवस्थाओं को दूर करने के निर्देश भी दिए। निर्वाचन अधिकारी ने कहा है कि कुछ मतदाता कई जगहों से मतदाता सूची में अपने नाम दर्ज करा देते हैं, साथ ही विवाह के बाद तमाम महिलाओं के नाम शादी से पहले की भी सूची में दर्ज रहते हैं। ऐसे लोगों के नाम हटा कर के मतदाता सूचियों को पूरी तरह से दुरुस्त कर लिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव में धन बल के इस्तेमाल पर कड़ाई से रोक लगाने की तैयारियां की जाएं।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में चाहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा चुनाव आयोग से पहले सोशल मीडिया पर जारी होने का मामला हो या गुजरात और हिमाचल के चुनाव लंबे अंतराल पर कराने का निर्णय, या फिर दिल्ली में आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने और बाद में हाईकोर्ट से उनकी सदस्यता बहाल होने का मसला हो, चुनाव आयोग के फैसलों पर सवाल उठे हैं।
विपक्षी पार्टियों ने आयोग को कठघरे में खड़ा किया है। इन घटनाओं से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली यह संवैधानिक संस्था सवालों के कठघरे में हैं। ऐसे में आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में आयोग किसी तरह की कोताही नहीं बरतना चाहता।