हिरासत में मौत रोकने के सुझावों पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट पुलिस हिरासत में होने वाली मौत और प्रताडऩा की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए न्याय मित्र (एमाइकस क्यूरी) द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करेगा। न्याय मित्र एएम सिंघवी ने पुलिस थानों और जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने समेत कई सुझाव दिए हैं।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट पुलिस हिरासत में होने वाली मौत और प्रताडऩा की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए न्याय मित्र (एमाइकस क्यूरी) द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करेगा। न्याय मित्र एएम सिंघवी ने पुलिस थानों और जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने समेत कई सुझाव दिए हैं।
वर्ष 1986 में दाखिल एक जनहित याचिका पर बुधवार को जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि देशभर के थानों व जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाकर, मानवाधिकार आयोग गठित कर और गैर आधिकारिक लोगों द्वारा जेलों व हवालात के औचक निरीक्षण के जरिये हिरासत में होने वाली प्रताडऩा व मौत की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।
सिंघवी ने सुझाव दिया कि मानवाधिकार संरक्षण कानून के प्रावधानों के तहत हर राज्य को छह महीने के अंदर राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) का गठन करना चाहिए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि दिल्ली, अरुणाचल, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड में इस तरह के आयोग नहीं हैं। सिंघवी ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि एसएचआरसी अध्यक्ष और सदस्यों के पद हरहाल में तीन माह के अंदर भरने का आदेश दिया जाए। उन्होंने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मशवरा कर प्रत्येक जिलों में मानवाधिकार अदालत गठित करने का भी सुझाव दिया।
सिंघवी ने हिरासत में मौत के मामलों की प्रारंभिक जांच में पुलिसकर्मियों के दोषी पाए जाने की आशंका पर उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने का सुझाव दिया है।
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