मुजफ्फरनगर में खुलीं कर्फ्यू की बेड़ियां
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। लंबे समय तक हिंसा की तंग गलियों में भटके जिले ने अमन के भोर में आंखें खोल दी हैं। देहात में छिटपुट घटनाओं को अपवाद मान लें तो मुजफ्फरनगर में हालात सामान्य हैं। कोई अप्रिय घटना न होती देख प्रशासन ने शहर से रात का कर्फ्यू भी हटा लिया है। जिला प्रशासन ने मुख्य सचिव को सेना हटाने की संस्तुति भेजी है। कर्फ्यू को हटाने के बाद भी पुलिस-प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है।
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। लंबे समय तक हिंसा की तंग गलियों में भटके जिले ने अमन के भोर में आंखें खोल दी हैं। देहात में छिटपुट घटनाओं को अपवाद मान लें तो मुजफ्फरनगर में हालात सामान्य हैं। कोई अप्रिय घटना न होती देख प्रशासन ने शहर से रात का कर्फ्यू भी हटा लिया है। जिला प्रशासन ने मुख्य सचिव को सेना हटाने की संस्तुति भेजी है। कर्फ्यू को हटाने के बाद भी पुलिस-प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है।
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सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का दौरा होने के बाद कोई अप्रिय घटना न होती देख प्रशासन ने रात का कर्फ्यू हटाने की घोषणा कर दी। हालांकि पहला दिन होने के कारण ज्यादातर लोगों ने निर्धारित समय पर दुकानें बंद कर दीं, लेकिन उम्मीद है कि मंगलवार से रात में चहल पहल बढ़ जाएगी। देहात क्षेत्र के हिंसाग्रस्त इलाकों में अभी भी भारी फोर्स तैनात है। इस बीच नंगला जौली नहर पर हुई हिंसा की जांच शुरू हो गई। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की टीम गंगनहर की पटरी पर पहुंची और घटनास्थल का निरीक्षण कर वैज्ञानिक सुबूत जुटाए। टीम ने भोपा थाने में खड़े फूंके हुए वाहनों के फोटो भी लिए।
58 शिविरों में 50 हजार शरणार्थी
वहीं लखनऊ में एडीजी/आइजी कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा और गृह सचिव कमल सक्सेना ने पत्रकारों को बताया कि मुजफ्फरनगर और शामली समेत पश्चिम के जिलों में कुल 58 राहत शिविरों में 50 हजार शरणार्थियों को राहत दी जा रही है। इनको सभी सुविधाएं सरकार मुहैया करा रही है। दंगों की जांच के लिए गठित जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने 11 सितंबर से अपना काम शुरू कर दिया है। आयोग को दो महीने में रिपोर्ट सौंपनी है।
गोदाम में शरण लिए हैं दहशतजदा सैकड़ों लोग
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के बाद से सिकरेड़ा गांव से पलायन करके आए 35 परिवारों ने किथौड़ा गांव के गोदाम में शरण ले रखी है। अधिकारियों ने इन्हें सुरक्षा का आश्वासन देकर वापस गांव जाने की अपील की।
सात सितंबर को हुए दंगे के अगले दिन से गायब चल रहे सिकरेड़ा निवासी नदीम (23) का चाकू से गुदा शव नौ सितंबर को जंगल में मिलने के बाद से विशेष समुदाय के लोगों में दहशत है। रविवार रात से गांव के करीब 35 परिवार के 200 लोग पलायन कर किथौड़ा गांव स्थित एक गोदाम में आकर ठहरे हैं। ग्रामीणों ने सभी लोगों को सुरक्षा का आश्वासन देकर मदद दे रखी है। सोमवार की सुबह एसडीएम एके त्रिपाठी और सीओ शरणार्थियों से मिलने पहुंचे और उनकी शिकायत सुनी। अधिकारियों ने पलायन कर आए लोगों को सुरक्षा का आश्वासन देकर गांव वापस लौट जाने की अपील की, लेकिन वह नहीं माने। शरणार्थियों का आरोप है कि नौ सितंबर के बाद से गांव का माहौल बहुत खराब है। रात में असामाजिक तत्व आकर उन्हें डराते हैं।
सांप्रदायिक तनाव से चिंतित केंद्र ने फिर भेजी एडवाइजरी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लोकसभा चुनाव के पहले देश में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं से केंद्र में हड़कंप मचा है। एक तरफ कैबिनेट सचिव राज्यों व केंद्र के संबंधित अधिकारियों की बैठक ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक पखवाड़े के भीतर दूसरी बार राज्यों को एडवाइजरी भेजी है। इसके अलावा आगामी सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हिंसक वारदातों को रोकने के लिए राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक बुलाई है।
बढ़ते सांप्रदायिक झड़पों को लेकर केंद्र सरकार की चिंता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां प्रधानमंत्री सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ मुजफ्फरनगर के हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे थे, वहीं कैबिनेट सचिव अजित सेठ सांप्रदायिक तनाव कम करने के लिए गृह सचिव अनिल गोस्वामी के साथ बैठक कर रहे थे। कैबिनेट सचिव के साथ बैठक के बाद ही गृह मंत्रालय ने राज्यों को नई एडवाइजरी जारी करने का फैसला किया। इसके पहले गृह मंत्रालय चार सितंबर और खुफिया ब्यूरो तीन सितंबर को उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल समेत 11 राज्यों को विस्तृत एडवाइजरी जारी कर चुका है।
सूत्रों के अनुसार पहले की तरह खुफिया रिपोर्टो के आधार पर 11 राज्यों को भेजी गई एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने सांप्रदायिक तनाव भड़कने की आशंका जताई है। इसके अनुसार चुनाव के पहले कुछ राजनीतिक दल जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और यह कभी भी मुजफ्फरनगर की तरह बेकाबू हो सकता है। पिछली एडवाइजरी की तरह इस बार भी मंत्रालय ने राज्यों को विस्तार से बताया है कि सांप्रदायिक तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए। इसके साथ ही संवेदनशील स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती का भी निर्देश दिया गया है।
दंगा पीड़ितों पर केंद्र व उप्र सरकार के आंकड़े अलग
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मुजफ्फरनगर दंगा के मामले में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश आंकड़ों में मृतकों की संख्या में अंतर आ गया है। केंद्र सरकार ने 44 लोगों के मारे जाने की बात कही है, जबकि राज्य सरकार ने मृतकों की सीधी संख्या न बताते हुए कहा है कि हिंसा में मारे गए 27 लोगों के परिजनों को मुआवजा दिया गया है। खास बात ये है कि केंद्र ने मृतकों का आंकड़ा राज्य सरकार की ओर से 13 सितंबर को उपलब्ध कराई गई सूचना के आधार पर दिया है जबकि राज्य ने भी सहारनपुर के कमिश्नर की 13 सितंबर की रिपोर्ट को आधार बनाया। सहारनपुर कमिश्नर राहत और पुनर्वास के नोडल अधिकारी हैं। राज्य और केंद्र ने ये ब्योरा सुप्रीम कोर्ट के गत 12 सितंबर के आदेश पर दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए टल गई। मालूम हो कि कुछ पीड़ितों ने याचिका दाखिल कर सुरक्षा और मदद की गुहार लगाई है। इस पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। केंद्र सरकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मुजफ्फरनगर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की 78 कंपनियां तैनात हैं। राज्य सरकार से पीड़ितों को दी जा रही मदद का ब्योरा भी मांगा गया, जिसमें उसने बताया है कि मृतकों को 10-10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार व छोटी छोटी मोटी चोटों पर 20-20 हजार रुपये मुआवजा दिया जा रहा है। इसके अलावा पीड़ितों को खाना, पानी और दवाइयां भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। केंद्र का कहना है कि प्रधानमंत्री राहत कोष से भी हिंसा में मारे गए लोगों को 2-2 लाख और गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये की मदद दी जा रही है।
केंद्र के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने 13 सितंबर की सुबह 10:00 बजे तक के जो आंकड़े भेजे हैं, उसके मुताबिक हिंसा में 44 लोग मारे गए हैं। 97 घायल हुए हैं और 2,462 गिरफ्तार किए गए हैं। जबकि राज्य ने रिपोर्ट में कुल मृतकों, घायलों और गिरफ्तार लोगों का आंकड़ा नहीं दिया है। उसने सिर्फ पीड़ितों को दी जा रही मदद का ब्योरा दिया है, जिसमें कहा है कि मुजफ्फरनगर में मारे गए 24 लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये के हिसाब से कुल 2,40,00,000 रुपये मुआवजा दिया गया है और शामली में मारे गए 3 लोगों को कुल 30 लाख रुपये मुआवजा बांटा गया है।
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