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हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन और रेमडेसिविर के बीच तुलना सही नहीं: CSIR डीजी

बिना जानकारी हुए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन और रेमडेसिविर के बीच तुलना करना सही नहीं है। CSIR DG ने कहा।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 05 May 2020 01:58 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 01:58 PM (IST)
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन और रेमडेसिविर के बीच तुलना सही नहीं: CSIR डीजी
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन और रेमडेसिविर के बीच तुलना सही नहीं: CSIR डीजी

नई दिल्ली, एएनआइ। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे ने कहा कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन और रेमडेसिविर के बीच तुलना करना सही नहीं है। उनका कहना है कि अभी हम दोनों के प्रभाव के बारे में जानते नहीं हैं। बिना जानकारी हुए इन दवाओं के बीच तुलना गलत है। उन्होंने कहा कि कौनसी बेहतर है यह केवल परीक्षणों के बाद पता लगाया जा सकता है।

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हाल ही में रिपोर्ट आई थी कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन से अमेरिकी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। वहीं, इस दवाई को लेकर भी दुनिया भर ने भारत से गुहार लगाई थी। जिसके बाद भारत ने अमेरिका सहित कई देशों में इसकी सप्लाई की थी। दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा संयुक्त राज्य अमेरिका प्रभावित है। देश में जानलेवा वायरस की संख्या 70 हजार पहुंचने वाली है। वहीं, रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिकी अस्पतालों में कोविड​​-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज में मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) का इस्तेमाल जारी है।

मेडिकल प्रकाशन, एमडीजेड (MDedge) ने पिछले हफ्ते कहा था कि मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन (HQC) वर्तमान में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए पहली लाइन की थेरेपी है, जबकि टोसिलिजुमैब अस्पताल में भर्ती लगों के लिए दूसरी लाइन की दवा है।

Remdesivir

कोरोना वायरस महामारी के फैलने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई एक दवा इसके इलाज में कारगर साबित हुई हो। आपको बता दें इस ख़तरनाक बीमारी ने अभी तक दो लाख से ज़्यादा लोगों की जान ले ली है। जिसकी वजह से दुनियाभर में लॉकडाउन की स्थिति है ,जिससे विश्व की अर्थव्यवस्था रुक गई है। जिन मरीज़ों को रेम्डेसिविर दवा की खुराक दी गई थी, वह 10 दिनों में स्वस्थ हो गए, जबकि जिन्होंने प्लेसीबो खाई, उन्हें स्वस्थ होने में 15 दिन लगे।

अमेरिकी कंपनी गिलियड साइंसेज मंजूरी दे तो भारत आसानी से एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर को तैयार कर सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. निर्मल के. गांगुली ने यह बात कही है। गिलियड साइंसेज ने ही इस दवा को विकसित किया है और इस समय कई भारतीय कंपनियों से ओपन लाइसेंसिंग की संभावनाओं पर बात कर रही है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों की सेहत में जल्द सुधार के प्रमाण मिले हैं।


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