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Cryptocurrency News: क्रिप्टोग्राफी की मदद से बनती है करेंसी, ऐसे होता है निवेश; ये है प्रमुख एक्सचेंज

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इन्हें मान्यता देने से अर्थव्यवस्था पर संकट आ सकता है। वैसे भी जिस तरह से कुछ गिने-चुने ट्रेडर्स के हाथ में इनकी कीमत उठाने-गिराने की ताकत है उससे भी इनमें लेनदेन को बहुत भरोसेमंद नहीं माना जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 12:51 PM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 12:56 PM (IST)
Cryptocurrency News: क्रिप्टोग्राफी की मदद से बनती है करेंसी, ऐसे होता है निवेश; ये है प्रमुख एक्सचेंज
क्रिप्टोकरेंसी में 69 प्रतिशत हिस्सेदारी बिटक्वाइन की है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। क्रिप्टोकरेंसी पर संसदीय समिति की पहली बैठक के बाद इसके नियमन की दिशा में आगे बढ़ने के संकेत मिले हैं। देश में क्रिप्टोकरेंसी के कई एक्सचेंज खुल गए हैं, जिनमें लाखों निवेशकों ने पैसा भी लगा दिया है। इन्हें खरीदने या बेचने वाले व्यक्ति का पता लगाना लगभग नामुमकिन है। कई देशों में गैरकानूनी कामों जैसे ड्रग्स आदि खरीदने में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। इन्हें लेकर कोई रेगुलेशन नहीं होने से दुनियाभर के बैंक चिंतित हैं। इनसे कर चोरी की आशंका रहती है। 

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न छू सकते हैं, न देख सकते हैं: क्रिप्टोकरेंसी वस्तुत: वर्चुअल करेंसी है। बिटक्वाइन पहली क्रिप्टोकरेंसी है, जिसे सातोशी नाकामोतो ने 2008 में बनाया था। 2009 में इंटरनेट की दुनिया में इसका प्रचलन शुरू हो गया था। यह असल में कंप्यूटर कोडिंग है। इसे देखा या छुआ नहीं जा सकता है। इससे आनलाइन खरीद-फरोख्त होती है। बिटक्वाइन की तरह ही इथेरियम, टीथर, कार्डानो, पोल्काडाट, रिपल और डोजक्वाइन भी वर्चुअल करेंसी हैं। कुल क्रिप्टोकरेंसी में 69 प्रतिशत हिस्सेदारी बिटक्वाइन की है।

क्रिप्टोग्राफी की मदद से बनती है करेंसी: क्रिप्टोग्राफी की मदद से क्रिप्टोकरेंसी बनाई जाती है। इस प्रक्रिया को मार्इंनग कहा जाता है। यह पूरी तरह से सॉफ्टवेयर की मदद से होने वाला काम है। बेहद सुरक्षित नेटवर्क के साथ मार्इंनग की जाती है। डच अर्थशास्त्री एलेक्स डी व्रीज के मुताबिक बिटक्वाइन की मार्इंनग यानी कंप्यूटर और इंटरनेट की मदद से बिटक्वाइन बनाने में हर साल 3.8 करोड़ टन कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन होता है। यह मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों के उत्सर्जन से ज्यादा है। कंप्यूटर की भाषा में समझें तो 1,38,762 घंटे यूट्यूब देखने पर जितना कार्बन उत्सर्जन होता है, उतना बिटक्वाइन मार्इंनग में होता है।

ऐसे होता है निवेश: निवेश के लिए क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज में अकाउंट खोलना होता है। इसमें रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन के बाद आप पैसे ट्रांसफर कर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं। आपकी करेंसी डिजिटल वालेट में स्टोर रहती है। इसे क्रिप्टोकरेंसी वालेट कहा जाता है। यह वालेट एक तरह का वर्चुअल बैंक अकाउंट हैं, जिसे एक खास पासवर्ड से ही खोला जा सकता है। अगर कोई यूजर पासवर्ड भूल जाए तो उसे रिकवर करने का कोई तरीका नहीं है। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति के वालेट में करोड़ों की कीमत के 7000 क्वाइन थे, लेकिन पासवर्ड भूल जाने के कारण सब खो गया। एक अध्ययन के मुताबिक कुल बिटक्वाइन के 25 प्रतिशत तो ऐसे ही कारणों से गुम हैं।

बिजली का खर्च भी बर्ड़ी चिंता: बिटक्वाइन बनाने में जितनी बिजली खर्च होती है, उससे कुछ देशों की जरूरत पूरी की जी सकती है। बिटक्वाइन की मार्इंनग में सालभर में 121.36 टेरावाट बिजली लग जाती है। अर्जेंटीना में 121 टेरावाट, नीदरलैंड में 108.8 टेरावाट, यूएई में 113.20 टेरावाट और नार्वे में 122.20 टेरावाट बिजली एक साल में प्रयोग होती है।

क्रिप्टोकरेंसी के प्रमुख एक्सचेंज: इन वर्चुअल करेंसी में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेज के जरिये निवेश किया जा सकता है। वजीरएक्स, क्वाइनडीसीएक्स, जेबपे, क्वाइनस्विच कुबेर और यूनोक्वाइन इसके प्रमुख एक्सचेंज हैं। वजीरएक्स की स्थापना 2017 में हुई थी। बाद में इसका बिनांस होल्डिंग्स ने अधिग्रहण कर लिया। ट्रेडिंग वाल्यूम के लिहाज से यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज है।


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