सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने को लेकर सीआरपीएफ ने विरोध कर सरकार के समक्ष रखा नया प्रस्ताव
अर्धसैनिक बलों में कमांडेंट से बड़ी रैंक वाले अफसरों की सेवानिवृत्ति की आयु साठ वर्षहै।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में कमांडेंट तक के पद पर सेवानिवृत्ति की आयु 57 से 60 साल करने का विरोध कर चुकी सीआरपीएफ ने सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है। सीआरपीएफ का कहना है कि अगर ऐसा करना ही पड़े तो उसकी कम से कम 16 नई बटालियन बढ़ा दी जाएं। साथ ही 'स्थिर' कार्यो के लिए कुछ प्रावधान बढ़ाएं जाएं ताकि इन बुजुर्ग सैनिकों को युद्धक जिम्मेदारियों से मुक्त किया जा सके।
केंद्रीय गृह मंत्रालय और अर्धसैनिक बलों के अफसरों की हाल की बैठक में सरकार को बताया गया था कि तीन लाख अफसरों वाले अर्धसैनिक बलों में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के पालन के बाद वर्ष 2020-2022 के बीच ऐसे वयोवृद्ध 'जवान' की संख्या 16,844 हो जाएगी।
अर्धसैनिक बलों ने सरकार को बताया है कि उसे कम से कम 16 नई बटालियन बढ़ाने की अनुमति मिलनी चाहिए। ताकि उसकी सैन्य अभियानों संबंधी आवश्यकताएं पूरी हो सकें और 16 हजार से अधिक बुजुर्ग 'जवानों' की भरपाई हो सके।
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि उनकी कुल 243 बटालियन तैनात हैं जिसमें 180 संघर्ष वाले इलाकों में देश की रक्षा में युद्धरत हैं। इसलिए फोर्स की आयु सीमा उनकी शारीरिक चुस्ती और सेहत के अनुकूल होनी चाहिए। लेकिन सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से सीआरपीएफ की कार्यक्षमता प्रभावित होगी।
उल्लेखनीय है कि सीआरपीएफ की एक बटालियन में एक हजार अफसर होते हैं। सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) देश के अंदर सुरक्षा करने वाला सबसे प्रमुख अर्धसैनिक बल है। यह नक्सलवाद से प्रभावित दस राज्यों और आतंकवाद से पीडि़त कश्मीर में तैनात हैं। अर्धसैनिक बलों में कमांडेंट से बड़ी रैंक वाले अफसरों की सेवानिवृत्ति की आयु साठ वर्ष ही है।