मध्य प्रदेश: करोड़ों की नकदी और इलेक्टोरल बॉन्ड बन सकते हैं गले की फांस
सीएम कमलनाथ के करीबियों सहित चार राज्यों में 52 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की है। छापमारी के दौरान दस्तावेजों के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड बरामद किए गए।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों सहित चार राज्यों में 52 ठिकानों पर पिछले महीने आयकर विभाग की बहुचर्चित छापेमारी में मिली करोड़ों रुपये की नकदी और इलेक्टोरल बॉन्ड आरोपितों के गले की फांस बन सकते हैं।
छापों में दस्तावेजों के साथ जो इलेक्टोरल बॉन्ड बरामद हुए हैं, आयकर विभाग ने उनके संबंध में बैंक से जानकारी तलब की है। चुनावी चंदे के ये बॉन्ड जिनके नाम पर जारी हुए हैं, उनकी पड़ताल भी की जा रही है। संबंधित व्यक्ति के न मिलने पर जिम्मेदार संस्था पर शिकंजा कसा जाएगा।
आयकर छापों में मिले दस्तावेज और नकदी को लेकर इन दिनों सियासत गरमाई हुई है। इस कार्रवाई में कुछ ठिकानों पर मिले इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जवाब देने में मुश्किलें आ रही हैं और यही इस मामले की दुखती रग बन सकती है। यही स्थिति करोड़ों रुपये की अघोषित रकम की है, विभाग उसका स्रोत पूछ रहा है।
आयकर की इस बहुचर्चित छापामारी में 281 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन, हवाला, अघोषित रकम, फर्जी कंपनियों के अलावा इलेक्टोरल बॉन्ड की छानबीन का भी बड़ा एंगल सामने आ रहा है। चुनावी चंदे से जुड़े इन संवेदनशील दस्तावेजों को लेकर एक निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी होता है। बॉन्ड के बारे में यह भी संकेत हैं कि इनका दायरा और ज्यादा भी हो सकता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड का खेल
इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदी में कोई एक संस्था मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। इसके बदले उसे कमीशन भी मिलता है। दो हजार अथवा उससे अधिक का यह बॉन्ड सिर्फ चैक अथवा डिजिटल पेमेंट से देकर ही खरीदा जा सकता है। यह बॉन्ड 15 दिन ही मान्य रहता है। ऐसा आरोप है कि कालेधन को सफेद करने के लिए राजनीतिक दल ही संस्थाओं के जरिये नंबर दो की राशि से बॉन्ड खरीदवाती हैं। भारतीय स्टेट बैंक के जरिये ये बॉन्ड एक हजार, 10 हजार, एक लाख एवं एक करोड़ रुपये मूल्य के मिलते हैं।
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