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कभी कश्मीर में अलगाववाद का चेहरा रहे हुर्रियत के लिए अस्तित्व का संकट

अलकायदा के आतंकी जाकिर मुसा ने तो हुर्रियत नेताओं को खुली धमकी भी दे दी है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 01 Apr 2018 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 07:25 PM (IST)
कभी कश्मीर में अलगाववाद का चेहरा रहे हुर्रियत के लिए अस्तित्व का संकट
कभी कश्मीर में अलगाववाद का चेहरा रहे हुर्रियत के लिए अस्तित्व का संकट

नीलू रंजन, नई दिल्ली। तीन दशक तक कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन की पहचान रहे हुर्रियत कांफ्रेंस के अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। एक तरफ हुर्रियत नेताओं और हिजबुल मुजाहिदीन व लश्करे तैयबा को पाकिस्तान से करोड़ों रुपये की फंडिंग के खुलासे ने कश्मीर की कथित आजादी के संघर्ष पर सवालिया निशान लगा दिया है, तो दूसरी तरफ आइएसआइएस और अलकायदा से जुड़े कट्टर आतंकी हुर्रियत नेताओं की बोलती बंद करने पर तुले हुए हैं। यही कारण है कि अल कायदा और आइएसआइएस के आतंकियों की घाटी में उपस्थिति को हुर्रियत नेतृत्व भारत की साजिश बताने से भी बाज नहीं आ रहा है।

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दरअसल हुर्रियत नेता अभी तक कश्मीरी युवाओं को बरगला रहे थे। उनका कहना था कि उनकी लड़ाई कश्मीर की आजादी है और पाकिस्तान इसे हासिल करने में उसकी सिर्फ मदद कर रहा है। लेकिन जांच एजेंसियों ने उनका कच्चा चिट्ठा खोलकर दिया कि किस तरह पाकिस्तान की फंडिंग के सहारे हुर्रियत नेता न सिर्फ करोड़ों की संपत्ति बनाने में सफल रहे हैं, बल्कि वे सिर्फ पाक खुफिया एजेंसी आइएसआइ के प्यादे भर हैं।

यहां तक कि आइएसआइ के इशारे पर हुर्रियत नेता न सिर्फ आतंकियों को पैसे पहुंचाते रहे हैं, बल्कि सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने के लिए युवाओं को पैसे भी बांटते रहे हैं। आतंकी फंडिंग के रास्ते लगातार बंद होते जाने के बाद उनके लिए अपनी गतिविधियां चलाना तो मुश्किल होता जा रहा है। इसके साथ ही आतंकी फंडिंग के बाद नेताओं की गिरफ्तारी और सार्वजनिक होते सबूतों के बाद उनके लिए कश्मीरी जनता को जवाब देना भी दूभर हो गया है।

लेकिन हुर्रियत नेताओं और उनके कथित अलगाववादी आंदोलन के लिए सबसे बड़ी चुनौती आइएसआइएस और अलकायदा बनकर उभरा है। अलकायदा के आतंकी जाकिर मुसा ने तो हुर्रियत नेताओं को खुली धमकी भी दे दी है। वैसे अलकायदा और आइएसआइएस की बढ़ती गतिविधियां भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी नई चिंता का सबब बन गया है। लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है।

एक तो अलकायदा और आइएसआइएस के सामने आने के बाद भारत के लिए कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके साथ ही हुर्रियत और पाकिस्तान कथित आजादी की जंग के नाम पर दुनिया के सामने भारत के खिलाफ कुछ बोल भी नहीं पाएंगे। यही कारण है कि हुर्रियत लगातार कश्मीरी युवाओं को अलकायदा और आइएसआइएस से दूर रहने की चेतावनी दे रहा है।

सैयद अली शाह गिलानी की जगह हुर्रियत के नए प्रमुख बने मुहम्मद अशरफ शाह ने आइएसआइएस और अलकायदा की बढ़ती सक्रियता को भारत की साजिश करार दिया है। यही नहीं, उन्होंने घाटी में कट्टर अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों को रोकने के लिए जल्द ही नए प्लान के ऐलान का भी वायदा किया है। लेकिन हाशिये पर चले गए हुर्रियत नेताओं की इस दिशा में सफलता पर गहरा संदेह है।

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