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Crime Thriller: साइको किलर ने जन्मदाता, पनाहगार और मोहब्बत तक को उतारा मौत के घाट

नफरत का जुनून उस साइको किलर पर इस हद तक सवार था कि वह एक के बाद एक रिश्तों का कत्ल करता चला गया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 12:12 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 12:23 AM (IST)
Crime Thriller: साइको किलर ने जन्मदाता, पनाहगार और मोहब्बत तक को उतारा मौत के घाट
Crime Thriller: साइको किलर ने जन्मदाता, पनाहगार और मोहब्बत तक को उतारा मौत के घाट

योगेंद्र शर्मा, दुर्ग शक और नफरत का भूत उस पर इस हद तक सवार था कि रिश्तों का खून करने में वह जरा भी संकोच नहीं करता था। होश संभालने के साथ ही बदले की आग ने उसके जेहन में घर कर लिया और वह एक के बाद एक अपराधों को अंजाम देता गया। वह बेहद शातिर तरीके से कत्ल की वारदात को अंजाम देता था और एक खून के सबूत को छिपाने के लिए चश्मदीद या राजदार को मौत के घाट उतार देता था।

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इस तरह से उसने एक या दो नहीं सात लोगों को मौत की नींद सुला दिया। हत्या करना तो जैसे उसका शगल बन गया था। उसने उन लोगों का कत्ल किया जो उसके नजदीकी थे या किसी न किसी बुरे वक्त में इस साइको किलर का साथ दिया था, लेकिन कातिल कितना ही क्रूर क्यों न हो दिल के किसी कोने में प्यार का रिश्ता उसके पास भी होता है। बस यहीं पर वह गलती कर बैठा और नफरत का यह दरिंदा प्यार के रिश्ते की वजह से सलाखों के पीछे पहुंच गया।

यह कहानी है उस वहशी दरिंदे की जिसने एक के बाद एक सात लोगों को मार डाला। इस साइको किलर का नाम है अरुण चंद्राकर। छत्तीसगढ़ की राजधानी कुकुरबेड़ा इलाके का ये बाशिंदा है। जिसने जन्म दिया पाल पोसकर बड़ा किया उसका कत्ल किया। जिसने पनाह दी उसको मौत के घाट उतारा। जिसने जन्म-जन्मांतर के रिश्तों की डोर इस दरिंदे से बांधी इसने उसको भी इस दुनिया से रुखसत कर दिया।

सीरियल किलर अरुण चंद्राकर मूलत: दुर्ग के कचांदूर का रहने वाला है। होश संभालने के साथ ही वह चोरी की छोटी-मोटी वारदात करने लग गया। इस वजह से वह कई बार जेल गया। उसकी गलत हरकतों से परेशान होकर पिता शत्रुहन ने उसे घर से निकाल दिया था।

इसके बाद दुर्ग रेलवे स्टेशन को उसने अपना आशियाना बना लिया था। । उसके ऊपर पागलपन और दरिंदगी का जुनून इस हद तक सवार था कि जिस पर भी उसको शक होता था उसे मौत के घाट उतार देता था। घर से निकाले जाने के बाद उसने अपने पिता की हत्या करने की ठान ली थी और पिता की हत्या के लिए वह मौके की तलाश करने लगा। एक दिन उसको मौका मिल गया और उसने अपने पिता को चलती ट्रेन से धक्का देकर मार डाला।

इसके बाद रायपुर के हीरापुर इलाके में वह बहादुर सिंह के मकान में किराए से रहने लगा था। मामूली विवाद पर अरुण ने बहादुर की भी हत्या कर दी। उसके बाद वह अपने दोस्त मंगलू देवार के साथ कुकुरबेड़ा में रहने लगा। वहां पर लिली देवार से प्रेम करने लगा और उससे शादी करके मामा ससुर संजय देवार के घर में रहने लगा। लेकिन अरुण पर खून सवार था। वह अपनी ख्वाहिश पूरी करने और बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था। शादी करने के बाद उसकी नजर पनाह देने वाले संजय देवार की संपत्ति पर गई।

उसके मकान पर कब्जा करने के लिए संजय की हत्या करके कमरे में ही क्रब खोदकर दफन कर दिया। इसकी भनक जब अरुण की बीवी लिली को हुई तो उसने उसकी भी हत्या कर वहीं दफना दिया। उसके बाद अरुण ने सिलसिलेवार हत्याओं को राज को छिपाने के लिए साली पुष्पा को भी मारकर दफना दिया।

इस तरह साइको किलर अरुण ने एक के बाद एक पिता, पत्नी, साली, साला, उसकी पत्नी, मामा ससुर समेत सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया। पुलिस गिरफ्त में आने के बाद जब अरुण से इन हत्याओं के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि नोएडा के निठारी हत्याकांड से प्रभावित होकर उसने इस तरह के हत्याकांड को अंजाम दिया।

अरुण अक्सर निठारी हत्याकांड से संबंधित न्यूज टीवी पर देखता था। उसको जिसके ऊपर भी शक होता था उसे मौत के घाट उतार देता था। उसे लगता था कि जब किसी को शव ही नहीं मिलेगा तो उसे कोई पकड़ेगा भी नहीं। अरुण का कहना है कि उसने कई लोगों को बेहोशी की हालत में जिंदा दफना दिया था।

अरुण इन हत्याओं को अंजाम देने के बाद एक बार पुलिस के हत्थे चढ़ गया और सारी कानूनी कवायद पूरी होने के बाद उसको सजा भी मुकम्मल कर दी गई। लेकिन खुंखार होने के साथ खौफ उसकी जिंदगी से गायब हो चुका था। साइको किलर अरुण को रायपुर की जिला अदालत ने तीन हत्याओं के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है। अरुण के खिलाफ वर्ष 2012 में सरस्वती नगर में तीन, आमानाका में तीन और दुर्ग जिले के नंदनी थाना में हत्या का एक मामला दर्ज है।, लेकिन दुर्ग में पेशी के दौरान वह पुलिस की आंखों में धूल झोंककर भाग निकला।

फरार होने के छह महीने बाद बेटी से मिलने आया
एक मई, 2018 को दुर्ग कोर्ट में पेशी के दौरान फरार होने के छह महीने बाद नवंबर में अरुण अपनी बेटी रितू से मिलने के लिए देवार बस्ती के नजदीक आया था। हालांकि वह बस्ती में नहीं घुसा। एक रिक्शे वाले के हाथों उसने बेटी के लिए जूते, चप्पल, कपड़े, खाने-पीने का सामान भिजवा दिया था। रितू का पालन-पोषण कर रही नानी अनसुइया को जब रिक्शे वाले ने सामान थमाया तो वह इस आशंका से बेहद डर गई थी कि कहीं अरुण रितू को भी न मार दे। उसने तत्काल पुलिस को खबर दी। रिक्शे वाले से पूछताछ भी की गई थी। इससे पहले कि पुलिस रेलवे स्टेशन जाकर उसको गिरफ्त में लेती वह ट्रेन के जरिए फरार हो गया। बाद में पुलिस ने उसके बस्ती में आने की खबर को कोरी अफवाह बता दिया।

महाराष्ट्र में भिखारी बन काटी फरारी
नौ महीने तक फरार रहे अरुण चंद्राकर ने ज्यादातर समय महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में गुजारा। वह भिखारी बनकर मंदिरों के सामने बैठकर भीख मांगता था और वह अपना पेट पालने के साथ इकलौती बेटी के लिए पैसा इकट्ठा कर रहा था। अरुण ने पूछताछ में बताया कि आमगांव, डोंगरगांव, राजनांदगांव, रसमढ़ा, गोदिंया, नागपुर समेत कई शहरों में घूमते हुए रविवार तीन फरवरी को बेटी का बर्थ डे सेलिब्रेट करने के लिए रिक्शे में सामान लेकर घर जा रहा था, इससे पहले लोगों ने पहचान कर उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।

बेटी से करता है बेइंतहा प्यार
अरुण अपनी बेटी रितू चंद्राकर (11) से बेइंतहा प्यार करता है। जेल में रहने और फरारी के दौरान उसे बेटी की चिंता सताती थी। वह कई बार बेटी के खाने-पीने, कपड़े आदि सामान भिजवा चुका था। पत्र भी लिखता था। पुलिस का दावा है कि अरुण के देवार बस्ती में आने की सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी की थी। वह पुलिस को देखकर भागने लगा, लेकिन आमानाका रेलवे क्रॉसिंग के आगे झुरमुट में छिपे अरुण पुलिस के हत्थे चढ़ गया।। पुलिस ने उसके पास से नकदी 27 हजार रुपए व सामान जब्त किए गए हैं।

पीड़ितों ने की सजा ए मौत की मांग
वहीं इस मामले में किलर अरुण की सास अनुसुइया ने नईदुनिया को बताया कि बेटी के जन्मदिन पर अरुण इलाके में पहुंचा था। खानपान का सामान लेकर एक रिक्शे वाले को घर की तरफ भेजा, तभी परिवार के सदस्य हरकत में आए। एक को तुरंत मेन रोड की तरफ भेजा और साधु की वेशभूषा में अरुण की पहचान की। खबर देने पर पुलिस ने उसे पकड़ा।

अनुसुइया ने बताया कि अरुण ने जिस तरीके से सात लोगों को मौत के घाट उतारा है, वह कभी भी हमला कर सकता है। जेल से फरार होना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। पहले जिस तरह से पेशी के दौरान पुलिस को उसने चकमा दिया था, आगे भी घटना दोहरा सकता है। उसके पकड़े जाने के दूसरे दिन भी परिवार के सदस्य खौफजदा दिखे। फांसी की सजा की मांग रखते हुए परिजनों ने कहा कि अगर अरुण दोबारा फरार हुआ तो उनकी जान पर बन आएगी। बेटी के नहीं रहने की वजह से अरुण कभी भी क्रोध में हमला करने पहुंच सकता है।

नवरात्रि में आया, लेकिन नहीं देख सका
बेटी से मिलने के लिए अरुण पिछले साल नवरात्रि के दौरान भी आया था। दरअसल बेटी देवार डेरा में नहीं रहती। अरुण के डर की वजह से दादी अनुसुइया ने उसे अपने से दूर रखने फैसला किया है। सुरक्षा घेरे में रखने के फैसले के बाद अरुण को पता चला था कि बेटी घर में है, इसलिए सामान भेजा था।

परिवार के सदस्यों को खोया, घर तक नहीं

75 वर्षीय अनुसुइया अरुण की बच्ची समेत नौ बच्चों का पालन-पोषण कर रही है। दरअसल अनुसुइया के मकान पर अरुण ने कब्जा कर रखा था। फिर उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी। इसके बाद छोटे बच्चों की जिम्मेदारी अनुसुइया पर पर आ गई। छह साल पहले जब वहां से लाशें बरामद की गईं तब से पुलिस ने कमरे को बंद कर दिया है। तालाबंदी की स्थिति में बुजुर्ग अनुसुइया के पास रहने तक को जगह नहीं है। बुजुर्ग अनुसुइया अपने परिवार के साथ पड़ोस में रहने वाले एक परिवार के तीन बच्चों को पाल रही है। पटेल परिवार में महिला की हत्या के बाद पुलिस ने पति को जेल दाखिल कराया था। उनकी तीन संताने हैं, जिनका अब कोई नहीं है। ऐसे में वही उनकी देखरेख कर रही है।

खूंखार सीरियल किलर के पकड़े जाने से देवार बस्ती में छंट रहा है खौफ का साया
फरार सीरियल किलर अरुण चंद्राकर के पकड़े जाने के बाद कुकुरबेड़ा की देवार बस्ती में पिछले नौ महीने से छाया खौफ अब छंटने लगा है। दरअसल अरुण चंद्राकर के पुलिस हिरासत से फरार होने के बाद उसके ससुराल के लोग हर दिन व रात खौफ के साए में जी रहे थे। उन्हें हमेशा यह डर सताता था कि कहीं अरुण आकर उन्हें भी न मार दे। इस डर से परिवार ने पुलिस से सुरक्षा की मांग भी की थी। तब से पुलिस परिवार की निगरानी कर रही थी।

यही नहीं, ससुराल वाले हमेशा पुलिस थाने जाकर अरुण की गिरफ्तारी के बारे में पूछते रहते थे। अरुण की सास अनुसुइया देवार, साली चांदनी, साढू भरत देवार समेत बस्ती के अन्य लोगों ने अब राहत की सांस ली है। चिंता इसलिए लगी रहती थी कि इस बहुचर्चित हत्याकांड केस में ससुराल वाले मुख्य गवाह बने थे और उनकी गवाही की बदौलत ही अरुण चंद्राकर को अदालत सजा से दंडित कर चुकी है। ऐसे में परिजनों का दहशत में होना स्वाभाविक था।

ससुराल वालों ने नईदुनिया से कहा कि अरुण काफी शातिर है। अपनी पत्नी लिली चंद्राकर की हत्या का राज छुपाने के लिए उसने पिता, साली समेत एक-एक करके सात लोगों की हत्या कर दी थी। वह काफी खूंखार हो चुका है। ऐसे में वह बदला लेने के लिए कभी भी घर आ सकता है और जो भी उसके सामने आएगा, वह उसे मारने में जरा भी देर नहीं करेगा।

चैलेंज देने पर जेल से हुआ था फरार
पुलिस कंट्रोल रूम में जब उसको मीडिया के सामने पेश किया गया तो उसने बड़े सहज भाव से और बड़ी बेबाकी से हर सवाल का जवाब दिया। प्रेस वार्ता के बाद जब अरुण को पुलिस जवान बिना पकड़े ले जाने लगे तो यह देखकर एसपी नीथू कमल ने कहा- ध्यान से पकड़कर रखो, भाग न जाए। बाहर निकलते ही अरुण से जब जवानों ने पूछा कि फिर से भागोगे तो नहीं? यह सुनते ही उसने हाजिर जबाव देकर सबकी बोलती बंद कर दी।

अरुण ने बताया कि दुर्ग कोर्ट में पेशी के दौरान किसी ने उसे बूढ़ा कहकर हंसी उड़ाते हुए टिप्पणी की थी कि यह कहां भागेगा, आराम से पेशी करा दो। यह बात उसे नागवार गुजरी थी। इस चैलेंज को स्वीकार कर वह फरार हुआ था कि वह अभी बूढ़ा नहीं हुआ है। जवानों ने जब यह कहा कि हम चैलेंज नहीं कर रहे, तब उसने मुस्कराते हुए कहा- अब दोबारा नहीं भागूंगा भाई।


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