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कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित करने में लगते हैं कम से कम 18 महीने : गांगुली

आइसीएमआर के पूर्व महानिदेशक एन.के. गांगुली ने कहा कि एक अच्छी वैक्सीन विकसित करने के लिए कम से कम 18 महीने का समय लगता है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 03:23 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 03:23 PM (IST)
कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित करने में लगते हैं कम से कम 18 महीने : गांगुली
कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित करने में लगते हैं कम से कम 18 महीने : गांगुली

नई दिल्ली, एजेंसियां। कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) का ट्रायल जल्द से जल्द शुरू करने के लिए आइसीएमआर (ICMR) द्वारा अस्पतालों को लिखे गए पत्र के बाद कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चिकित्सा क्षेत्र की इसी शीर्ष संस्था के पूर्व महानिदेशक एन.के. गांगुली ने कहा कि एक अच्छी वैक्सीन विकसित करने के लिए कम से कम 18 महीने का समय लगता है।

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उन्होंने कहा कि कोरोना की वैक्सीन को विकसित कर रही भारत बायोटेक को वायरस का स्ट्रेन मई में दिया गया और जुलाई में ह्यूमन ट्रायल की अनुमति दे दी गई है। उन्होंने वैक्सीन विकसित करने की लंबी प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि काफी पैसा और समय खर्च करने के बाद भी अनिश्चितता बनी रहती है। यह कहना कठिन होता है कि वैक्सीन सफल होगी कि नहीं।

इस मामले में सीएसआइआर और सेंटर फार सेल्युलर एंड मालीक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के निदेशक राकेश के. मिश्र का कहना है कि कोरोना की कोई भी वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में ही संभव है। इस संबंध में आइसीएमआर द्वारा पत्र लिखने से अस्पतालों पर बेवजह का दबाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ योजना के तहत चला तब भी वैक्सीन आने में छह से आठ महीने लग जाएंगे।

इस मामले में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता पृथ्वीनाथ चह्वाण ने कहा कि आइसीएमआर 15 अगस्त से पहले वैक्सीन के लिए इसलिए दबाव बना रहा है ताकि प्रधानमंत्री लालकिले से इसकी घोषणा कर सकें। उन्होंने कहा कि जब दुनिया भर के विशेषज्ञ वैक्सीन के लिए 12 से 18 महीने का समय दे रहे हैं तो आइसीएमआर क्यों इतनी कम मोहलत दे रहा है।

उधर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी आरोप लगाया कि आइसीएमआर वैक्सीन के लिए उतावला इसलिए हो रहा ताकि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री लालकिले से इसकी घोषणा कर सकें। वैक्सीन के लिए पूरी दुनिया इंतजार कर रही है। इसे विकसित करने में पर्याप्त समय लगता है। इसे सिर्फ आदेश देकर नहीं तैयार कराया जा सकता।


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