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फरवरी तक कोरोना को किया जा सकता है नियंत्रित, महामारी के चरम को पार कर चुका है भारत : समिति

कोरोना के खिलाफ जंग में भारत के लिए अच्छी खबर है। विशेषज्ञों की माने तो भारत महामारी के चरम से गुजर चुका है और अगले साल फरवरी तक इसको नियंत्रित भी किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सभी लोगों को सुरक्षात्मक नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 10:58 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 11:03 PM (IST)
फरवरी तक कोरोना को किया जा सकता है नियंत्रित, महामारी के चरम को पार कर चुका है भारत : समिति
विशेषज्ञों की माने तो भारत महामारी के चरम से गुजर चुका है...

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना के खिलाफ जंग में भारत के लिए अच्छी खबर है। विशेषज्ञों की माने तो भारत महामारी के चरम से गुजर चुका है और अगले साल फरवरी तक इसको नियंत्रित भी किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सभी लोगों को सुरक्षात्मक नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के प्रोफेसर एम विद्यासागर के नेतृत्व में सरकार की तरफ से गठित समिति ने अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि भारत में सितंबर के मध्य में ही कोरोना महामारी अपनी चरम पर पहुंच गई थी। अगले साल की शुरुआत में यह पूरी तरह से काबू में होगी, ज्यादा से ज्यादा कुछ हल्के लक्षणों वाले मरीज ही रह जाएंगे, लेकिन इसके लिए हमें सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों का सख्ती के साथ पालन करना होगा।

समिति की यह रिपोर्ट भारतीय पत्रिका मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुई है। 'भारत में कोरोना की प्रगति : रोग का निदान और लॉकडाउन प्रभाव' नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर मार्च में लॉकडाउन नहीं लगाया गया होता तो जून में ही हमें महामारी के चरम का सामना करना पड़ता और आज से 15 गुना ज्यादा मामले होते।

मार्च में ही लॉकडाउन लगाकर भारत ने न सिर्फ स्वास्थ्य सुविधाओं के भार को कम किया, बल्कि महामारी के चरम को भी सितंबर तक टाल दिया। विद्यासागर ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो मई के आखिर तक ही देश में रोजाना करीब डेढ़ लाख मामले सामने आए होते।

समिति ने महामारी के प्रसार पर लॉकडाउन, श्रमिकों की वापसी और आर्थिक गतिविधियों को खोलने के प्रभावों का आकलन किया है। सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना की प्रगति का पता लगाने के लिए इस समिति का गठन किया था, ताकि इसकी रिपोर्ट के आधार पर कम और मध्यम समय के लिए योजनाएं बनाई जा सकें।

समिति ने सर्दियों और त्योहारों को देखते हुए संक्रमण बढ़ने की आशंका जताई है, लेकिन किसी तरह के प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं की है। विद्यासागर ने कहा, सुरक्षात्मक उपायों में छूट से एक महीने के भीतर 26 लाख संक्रमित बढ़ सकते हैं। व्यक्तिगत सुरक्षा के मौजूदा नियमों को पूरी तरह से जारी रखना होगा। अन्यथा संक्रमण बहुत तेजी के साथ बढ़ेगा। 


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