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Covid Vaccination: भारत के टीकाकरण अभियान पर पड़ सकता है बुरा असर, जानिए ये है बड़ी वजह

भारत में वैक्सीन आपूर्ति का दारोमदार फिलहाल कोविशील्ड बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट पर ही है। विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया में वैक्सीन के कच्चे माल का सबसे बड़ा उत्पादक अमेरिका है और अभी अमेरिका ने कच्चे माल की सप्लाई को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट या भारत को आश्वस्त नहीं किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 11:00 PM (IST)
Covid Vaccination: भारत के टीकाकरण अभियान पर पड़ सकता है बुरा असर, जानिए ये है बड़ी वजह
कोरोना वैक्सीन के उत्पादन को लेकर कच्चे माल की कमी दूर करने का समाधान होता नहीं दिख रहा है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना वैक्सीन के उत्पादन को लेकर कच्चे माल की कमी दूर करने का समाधान फिलहाल होता नहीं दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे माल की कमी जारी रहने पर वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाना संभव नहीं हो सकेगा, जिससे भारत के टीकाकरण अभियान पर विपरीत असर पड़ सकता है। पिछले महीने सीरम इंस्टीट्यूट ने अमेरिका से वैक्सीन का कच्चा माल देने की गुजारिश की थी। लेकिन अब तक कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो पाई है। 

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सीरम को अमेरिका से अब तक नहीं मिला कच्चा माल

भारत में वैक्सीन आपूर्ति का दारोमदार फिलहाल कोविशील्ड बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट पर ही है। विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया में वैक्सीन के कच्चे माल का सबसे बड़ा उत्पादक अमेरिका है और अभी अमेरिका ने कच्चे माल की सप्लाई को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट या भारत को आश्वस्त नहीं किया है।

तीन दिन पहले न्यूयार्क टाइम्स को दिए अपने इंटरव्यू में सीरम इंस्टीट्यूट के प्रमुख अदार पूनावाला ने कहा कि उन्होंने वैक्सीन उत्पादन से जुड़े कच्चे माल की सप्लाई पर लगी रोक को हटाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति से गुजारिश की थी। इस पर उन्हें कच्चे माल की आपूर्ति का भरोसा दिया गया था, लेकिन अब तक अमेरिका से इसकी प्राप्ति नहीं हुई है। 

हाल ही में बायोकान की कार्यकारी चेयरपर्सन किरण मजूमदार शा भी वैक्सीन उत्पादन से जुड़े कच्चे माल की कमी को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुकी हैं। शा ने कहा था कि भारत की वैक्सीन कंपनियां उत्पादन क्षमता तभी बढ़ा सकती हैं, जब कच्चे माल की आपूर्ति सामान्य होगी। उनका कहना है कि वैक्सीन उत्पादन की प्रक्रिया जटिल होती है और बल्क वैक्सीन बनाने में छह-आठ सप्ताह का समय लगता है। 

विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका वैक्सीन उत्पादन के बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट के लिए राजी हुआ है। वैक्सीन उत्पादन के लिए जरूरी कच्चे माल के उत्पादन को लेकर अभी इस प्रकार की कोई रजामंदी नहीं हुई है। वैक्सीन उत्पादन से जुड़े फिल्टर्स, ट्यूबिंग, डिस्पोजेबल बैग जैसे कच्चे माल पर अमेरिका का वर्चस्व है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, वैक्सीन का कच्चा माल बनाने वाली कंपनियों की अलग से कोई सूची भी उपलब्ध नहीं है और अमेरिका सरकार की तरफ से इजाजत के बगैर कच्चे माल की निर्माता कंपनियां किसी दूसरे देश को आपूर्ति भी नहीं कर सकती हैं। यही वजह है कि भारत अब विश्व व्यापार संगठन में वैक्सीन उत्पादन के साथ वैक्सीन के कच्चे माल व रेमडेसिविर जैसी दवा के कच्चे माल के उत्पादन से जुड़े बौद्धिक संपदा अधिकार में भी छूट की मांग कर रहा है।


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