कोविड-19 बदलेगा स्वास्थ्य का मिजाज, घरों में होगा इलाज; इन्हें मिलेगा लाभ
Covid-19 कोरोना के बढ़ते प्रसार के बीच विभिन्न देशों में अस्पताल की जगह घर पर इलाज को तरजीह दी जा रही है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Covid-19: हर महामारी परिवर्तन लाती है। कई बार यह राजनीतिक होता है तो कई बार सामाजिक। उद्योग-धंधों से काम करने के तरीकों तक महामारियों ने दुनिया में बहुत कुछ बदला है। कोरोना के संक्रमण काल में हम इससे लड़ने की योजनाएं बना रहे हैं, लेकिन भविष्य में होने वाले बदलावों को देख नहीं पा रहे हैं। यह महामारी हमारे जीवन जीने के तरीके को बदल चुकी हैं, फिर चाहे यह असर अल्पकालिक ही क्यों न हो।
महामारी और उनसे उपजने वाले परिवर्तनों पर निगाह रखने वालों के मुताबिक स्वास्थ्य से जुड़े क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आने वाला है। कोरोना के बढ़ते प्रसार के बीच विभिन्न देशों में अस्पताल की जगह घर पर इलाज को तरजीह दी जा रही है। कई देशों में इसे लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं, जो काफी सफल भी रहे हैं। कोविड-19 संकट के बाद यह लोकप्रिय हो सकता है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ता बोझ : इस महामारी के विस्तार के साथ स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ रहा है। इसे कम करने की आवश्यकता है। यह आश्चर्यजनक लेकिन सत्य है कि कई देश अस्पताल की जगह घर में मरीज की प्राथमिक देखभाल करने पर विचार कर रहे हैं। यह व्यवस्था रोगियों के दैनिक जीवन की गतिविधियों को पूरा करने के साथ ही सुरक्षित, कम लागत वाली और रोगियों द्वारा सराही जा रही है। वैश्विक स्तर पर घर में अस्पताल कार्यक्रम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ऑस्ट्रेलिया, इटली, न्यूजीलैंड, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में शुरू किए गए थे। जो काफी सफल रहे हैं। एक विश्लेषण के अनुसार, इन देशों में घर आधारित अस्पताल की देखभाल को सुरक्षित बताया गया है। साथ ही इस दौरान मृत्यु दर और लागत में भी कमी देखने को मिली है।
ये हैं लाभ : घर में अस्पताल कार्यक्रम कोविड-19 रोगियों और अन्य रोग से ग्रसित मरीजों के लिए अस्पताल स्तर की मेडिकल और सामाजिक सेवा घर पर उपलब्ध करवाता है। यह अस्पताल के बेड और अन्य संसाधनों को मुक्त करता है, जिसकी कोविड -19 मरीजों को सख्त आवश्यकता होती है। इसी समय, यह कमजोर रोगियों को अस्पताल से बाहर रखता है और उन्हें कोरोना वायरस के जोखिम से बचाता है। जैसा कि हाल ही में इटली में एक समूह ने किया है। इस समय अस्पताल महामारी के संभावित केंद्र हैं। यह कार्यक्रम उन रोगियों को देखभाल प्रदान करने की अनुमति देता है जो कोविड -19 के डर से अस्पताल में जाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।
अन्य घटक भी : अस्पताल में घर पर देखभाल का अन्य प्रमुख घटक सामाजिक और व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य आवश्यकताओं का प्रभावी प्रबंधन है। स्वास्थ्य के इन निर्धारकों को अक्सर अनदेखा किया जाता है, लेकिन संकट के समय में तेजी से प्रचलित हो जाते हैं। (जबकि चिंता, अकेलापन और अवसाद आने वाले दिनों में
आसमान छू सकता है। वहीं पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की दर भी बढ़ेगी।) संकेत हैं कि, लंबी अवधि में ये कार्यक्रम मजबूत प्राथमिक देखभाल प्रणालियों के प्रमुख घटक होंगे, जो उच्च गुणवत्ता, कम लागत और अधिक सुलभ देखभाल के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।
यह रहे परिणाम : अमेरिका के कई अस्पतालों में इस मॉडल को अपनाया गया। जिसके बेहतर परिणाम मिले। इनमें कम मृत्यु दर, रोगी और परिवार को बेहतर संतुष्टि जैसे बेहतर परिणाम प्राप्त हुए। माना जा रहा है कि कोविड-19 संकट के बाद इसका और विस्तार होगा।
जांस हॉपकिंस ने पेश किया था मॉडल : जांस हॉपकिंस यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. ब्रुस लैफ ने एक इंटरव्यू में इस पूरी प्रक्रिया को समझाते हुए कहा था कि यह किसी वृद्ध व्यक्ति के लिए ज्यादा कारगर हो सकता है। जब वे अस्पताल की आपातकालीन इकाई में आते हैं और यदि उन्हें गहन चिकित्सा इकाई में भेजने की जरूरत नहीं है तो हम उन्हें घर भेजते हैं। जहां एक चिकित्सक उनके घर का दौरा करता है और वे घर पर नर्सिंग देखभाल प्राप्त करते हैं। पिछली सदी के आखिरी दशक में इस प्रोजेक्ट को जांस हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में चिकित्सा मॉडल के रूप में पेश किया गया था।