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कोरोना वैक्‍सीन ढूंढने में जुटी पूरी दुनिया, जानिए भारत सहित कई देशों में हो रही है मानव ट्रायल की तैयारी

दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक इस कोशिश में जुटे हैं कि जल्द से जल्द इस महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन विकसित किया जाए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 12:46 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 11:55 AM (IST)
कोरोना वैक्‍सीन ढूंढने में जुटी पूरी दुनिया, जानिए भारत सहित कई देशों में हो रही है मानव ट्रायल की तैयारी
कोरोना वैक्‍सीन ढूंढने में जुटी पूरी दुनिया, जानिए भारत सहित कई देशों में हो रही है मानव ट्रायल की तैयारी

 नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या में रोजाना हजारों लोग जुड़ रहे हैं। साथ ही रोजाना कई मौतें हो रही हैं। ऐसे वक्त में सबसे जरूरी चीज कोरोना वायरस की वैक्सीन ही है। दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक इस कोशिश में जुटे हैं कि जल्द से जल्द इस महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन विकसित किया जाए। भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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भारतीय दवा कंपनी जायडस कैडिला ने कहा है कि कोविड-19 के वैक्सीन बनाने के लिए मानव परीक्षण शुरू कर दिया गया है। वॉलिंटियर्स को पहले और दूसरे चरण के लिए कोरोना वायरस से बचाव का संभावित टीका विभिन्न स्थानों पर दिया जा रहा है। आइए जानते हैं कि भारत के साथ ही दुनिया के कौन से प्रमुख देश हैं, जो कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए अंतिम चरण तक पहुंचने की ओर हैं।

 

जानें क्‍या है भारत की तस्वीर

भारत में कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने को लेकर प्रयास लगातार जारी है। जायडस कैडिला ने पहले ही क्लिनिकल जीएमपी बैचों का निर्माण कर लिया है और एक हजार से अधिक लोगों पर भारत में कई स्थानों पर क्लिनिकल परीक्षण की योजना है। साथ ही जायडस कैडिला ने इसी महीने कहा था कि उसने प्लासमिड डीएनए वैक्सीन कैंडिडेट जायकोव-डी को अहमदाबाद स्थित वैक्सीन टेक्नोलॉजी सेंटर में विकसित किया है। इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने मानव परीक्षण के पहले और दूसरे चरण को शुरू करने की अनुमति प्रदान की है। दूसरी ओर, भारत बायोटेक, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे द्वारा संयुक्त रूप से विकसित कोवाक्सिन का क्लिनिकल ट्रायल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना में शुरू हो चुका है।

दुनिया की यह है स्थिति

वैश्विक स्तर पर बड़ी संख्या में रिसर्च इंस्टीट्यूट और फार्मा कंपनियां कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। 155 संभावित वैक्सीन और दवाएं हैं, जो विकास के विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं। इनमें से 23 मानव परीक्षण से गुजर रहे हैं। रूस ने हाल में घोषणा की है कि उसने कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने की दिशा में मानव परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यही कारण है कि इस दौड़ में रूस आगे निकलता लग रहा है, हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, चीन और ऑस्ट्रेलिया कई संभावित वैक्सीन पर कार्य कर रहे हैं।

अमेरिका में जल्द शुरू होंगे अंतिम ट्रायल

अमेरिका में मॉडर्ना ने कहा है कि वह 27 जुलाई के आसपास मानव परीक्षण के अंतिम चरण की योजना बना रही है। उसने बताया है कि वह 87 स्थानों पर ट्रायल करेगी। यह सभी स्थान अमेरिका में ही हैं। वहीं मैरीलैंड स्थित नोवावोक्स ने घोषणा की है कि अमेरिकी सरकार वैक्सीन का वित्त पोषण करेगी। कनाडा स्थित मेडिकैगो ने कोविड वैक्सीन के परीक्षण के लिए पहले चरण का ट्रायल शुरू किया है।

सबसे पहले वैक्सीन देने का दावा

रूस के वैज्ञानिकों का दावा है कि विश्व की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन अगस्त में लांच हो जाएगी। गैमेलेई नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा है कि 12 से 14 अगस्त तक वैक्सीन लोगों को दी जाने लगेगी। मॉस्को टाइम्स के अनुसार, उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर सितंबर से इसका उत्पादन शुरू होने की संभावना है। रूस का दावा है कि मॉस्को स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी ने दुनिया के पहले कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए क्लिनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशन मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक वादिम तरासोव ने कहा कि वालेंटियर्स के पहले बैच को 15 जुलाई और दूसरे बैच को 20 जुलाई को छुट्टी दे दी जाएगी। क्लिनिकल ट्रायल्स गैमेलेई नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में 18 जून से शुरू हुए थे।

ब्रिटेन से भी उम्मीद

ब्रिटेन में कोरोना वायरस के दो संभावित वैक्सीन उम्मीद जगा रही हैं। एक को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेंस द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह तीसरे चरण में हैं। वहीं अन्य को इंपीरियल कॉलेज लंदन द्वारा विकसित किया जा रहा है और यह अभी दूसरे चरण में है।

विभिन्न चरणों में ट्रायल

चीन में चार संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। यह विकास के विभिन्न चरणों में हैं। वुहान इंस्टीट्यूट और सीनाफॉ‌र्म्स दूसरे चरण में हैं। सिनोवैक और इंस्टीट्यूटो बुटेंटेन वैक्सीन को विकसित करने के तीसरे चरण में हैं। वहीं सैन्य उपयोग के लिए कैनसिनो बायोलॉजिकल और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक को वैक्सीन की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मंजूरी दी गई है। साथ ही बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्ट्स और सीनाफॉ‌र्म्स संभावित वैक्सीन के दूसरे चरण में पहुंचे हैं।

अन्य देश भी जुटे कोशिश में

जर्मनी में बायोएनटेक, पीफाइजर और फोसन फार्मा संभावित वैक्सीन बनाने के दूसरे चरण में पहुंच चुके हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया का वैक्सीन पैटी लिमिटेड और मेडिटॉक्स पहले चरण में पहुंचे हैं।

वैक्सीन वितरण के लिए साथ आए 150 से अधिक देश

कोरोना वैक्सीन तैयार होने की स्थिति में वह सभी देशों को समान रूप से उपलब्ध हो इसको लेकर 150 देशों ने एक योजना पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें 70 अमीर देश भी शामिल हैं। वैक्सीन संगठन गवी ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि 75 देशों ने कहा है कि वे उसकी 'कोवाक्स' योजना में कम आय वाले 90 देशों के साथ शामिल होंगे। गरीब देश सहायता के रूप में वैक्सीन मिलने की उम्मीद लगाए हैं। गवी ने अमीर देशों से कहा है कि कोरोना की कोई वैक्सीन तैयार होती है तो उसका वितरण इस तरीके से हो कि हर देश को कम से कम उनकी 20 फीसद आबादी के लिए वह उपलब्ध हो।


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