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कोविड-19 ने बिगाड़ी चीनी उद्योग की हालत, सरकार से मांगी गई 8000 करोड़ की बकाया सब्सिडी

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने चीनी निर्यात व बफर स्टॉक पर मिलने वाली सब्सिडी के तत्काल भुगतान के लिए केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 08:04 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 08:08 PM (IST)
कोविड-19 ने बिगाड़ी चीनी उद्योग की हालत, सरकार से मांगी गई 8000 करोड़ की बकाया सब्सिडी
कोविड-19 ने बिगाड़ी चीनी उद्योग की हालत, सरकार से मांगी गई 8000 करोड़ की बकाया सब्सिडी

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कोविड-19 वायरस की महामारी के चलते चीनी उद्योग गंभीर आर्थिक संकट के मंझधार में फंसता नजर आ रहा है। बड़े उपभोक्ताओं की मांग नगण्य होने की वजह से जहां मिलों के पास चीनी का भारी स्टॉक हो गया है, वहीं नगदी का भी गंभीर संकट पैदा हो गया है। लिहाजा किसानों के गन्ने का भुगतान रुक गया है। साथ ही चीनी उद्योग को अपने अन्य खर्च के लिए बैंकों का मुंह ताकना पड़ रहा है। चीनी उद्योग संघ ने इस कठिन समय में सरकार से बकाया 8000 करोड़ रुपये की निर्यात व बफर स्टॉक सब्सिडी के भुगतान की गुहार लगाई है।

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इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने चीनी निर्यात व बफर स्टॉक पर मिलने वाली सब्सिडी के तत्काल भुगतान के लिए केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा के मुताबिक दोनों सब्सिडी तकरीबन आठ हजार करोड़ रुपये होगी, जिसका समय से भुगतान हो जाए तो चीनी मिलों की तात्कालिक कठिनाई का समाधान हो सकता है।

यूपी सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर विस्तार से दिया ब्यौरा

उधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी केंद्र को पत्र लिखकर राज्य की चीनी मिलों की मुश्किलों का विस्तार से ब्यौरा दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने चीनी के वैधानिक न्यूनतम मूल्य को 31 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 34 रुपये प्रति किलो किये जाने की मांग की है। नीति आयोग ने भी हाल की अपनी एक सिफारिश में चीनी के न्यूनतम मूल्य में दो रुपये प्रति किलो की तात्कालिक वृद्धि की सिफारिश की है।

लॉकडाउन के चलते बड़े उपभोक्ताओं ने चीनी की खपत की बंद

इस्मा के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से बड़े उपभोक्ताओं (बल्क कंज्यूमर्स) ने चीनी की खपत बंद कर दी है। इनमें मिठाई बनाने वाले, चाकलेट निर्माता और कोल्ड ड्रिंक्स उत्पादन करने वाली कंपनियों के कामकाज पूरी तरह ठप है। लिहाजा इन दिनों चीनी की निकलने वाली मांग नहीं के बराबर ही रही, जिससे तकरीबन 15 लाख टन चीनी की बिक्त्री नहीं हो सकी है। इससे चीनी मिलों के तकरीबन 5000 करोड़ रुपये की नगदी फंस गई। हालांकि उद्योग संगठन को पूरी उम्मीद है कि लाकडाउन खुलने के बाद बाजार में अच्छी मांग निकलेगी। लेकिन फिलहाल का संकट गंभीर होने लगा है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कई तरह की सहूलियतों की मांग की है। राज्य की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 14 हजा करोड़ रुपये से अधिक का बकाया हो गया है। मिलों के पास जरूरत से अधिक चीनी का स्टॉक हो गया है, जिसके भंडारण की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसी तरह तेल कंपनियां एथनाल को उठा नहीं रही हैं, जिससे मिलों में तैयार एथनाल के भंडारण की भी समस्या पैदा हो गई है।


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