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COVID-19 : कोई कारगर वैक्सीन बनाने में मिली सफलता तो बड़े पैमाने पर उत्पादन भी चुनौती

करीब 20 वैक्सीन अभी विकास की अवस्था में हैं और एक वैक्सीन के जानवरों पर परीक्षण से पहले ही मनुष्यों पर ट्रायल शुरू हो गया है। शेष वैक्सीन जानवरों पर आजमाए जा रहे हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2020 01:16 PM (IST)Updated: Sun, 22 Mar 2020 01:16 PM (IST)
COVID-19 : कोई कारगर वैक्सीन बनाने में मिली सफलता तो बड़े पैमाने पर उत्पादन भी चुनौती
COVID-19 : कोई कारगर वैक्सीन बनाने में मिली सफलता तो बड़े पैमाने पर उत्पादन भी चुनौती

नई दिल्ली [मुकुल व्यास]। चूंकि कोरोना के उपचार की कोई दवा विकसित नहीं हो पाई तो फिलहाल डॉक्टर पुरानी दवाओं को ही आजमा रहे हैं। इसके लिए वैक्सीन की खोज जारी है। करीब 20 वैक्सीन अभी विकास की अवस्था में हैं और एक वैक्सीन के जानवरों पर परीक्षण से पहले ही मनुष्यों पर ट्रायल शुरू हो गया है। शेष वैक्सीन जानवरों पर आजमाए जा रहे हैं। उनके नतीजे आने में अभी वक्त है। यदि वैज्ञानिक कोई कारगर वैक्सीन बनाने में सफल भी हो जाते हैं तो भी उसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी। 

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यदि सब कुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष के मध्य तक ही कोई वैक्सीन मिल पाएगी। कोरोना वायरस की चार किस्में पहले से मनुष्यों में प्रसारित होती रहती हैं जिनसे सर्दी-जुकाम होता है। इन वायरस के लिए हमारे पास कोई वैक्सीन नहीं है। कोरोना का इलाज करने के लिए डॉक्टर अभी इस समय उपलब्ध एंटी वायरल दवाएं आजमा रहे हैं। इबोला वायरस के लिए बनी दवा रेमडेसिविर ने कुछ उम्मीद जगाई है, लेकिन इसके ट्रायल के नतीजे अभी नहीं आए हैं।

भारत में जयपुर के डॉक्टरों ने तीन मरीजों को एड्स की दवाओं से ठीक किया है। अमेरिका में कोविड-19 के इलाज के लिए मलेरिया की पुरानी दवा, क्लोरोक्विन पर परीक्षण चल रहे हैं जिनके नतीजों का इंतजार है। हालांकि परीक्षणों से पता चलता है कि यह दवा वायरस को मार सकती है। फ्रांस में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि मलेरिया की दवा और एंटीबायोटिक दवा के मिश्रण से कोरोना वायरस से फैली कोविड-19 बीमारी को रोका जा सकता है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एंटी माइक्रोबियल एजेंट्स पत्रिका में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने इस महीने के आरंभ में मरीजों को मलेरिया-रोधी हाइड्रोक्सी- क्लोरोक्विन और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन की खुराक दी थी। यह प्रयोग अस्पताल की सेटिंग में किया गया। इन मरीजों को एक मार्च से 16 मार्च तक हर रोज हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन 600 एमजी की डोज दी गई। इन लोगों का प्रतिदिन वायरस लोड चेक किया गया और इन्हें एजिथ्रोमाइसिन की जरूरी डोज दी गई।

शोधकर्ताओं ने प्रयोग की तुलना के लिए दूसरे सेंटर के ऐसे मरीजों को चुना जिन्होंने मलेरिया की दवा और एंटीबायोटिक दवा लेने से इन्कार कर दिया था। शोधकर्ताओं ने प्रयोग के निष्कर्ष के लिए ट्रीटमेंट के छठे दिन वायरस की उपस्थिति और अनुपस्थिति को एक पैमाना माना। उन्होंने 20 मरीजों का ट्रीटमेंट किया। नतीजे चौंकाने वाले थे। ये दवाएं लेने वाले मरीजों में छठे दिन वायरस का लोड काफी कम हो गया। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन के साथ एजिथ्रोमाइसिन मिलाना ज्यादा असरदार साबित हुआ। इस बीच, चीन ने दावा किया है कि कोविड-19 के इलाज में जापान की नई एंटी फ्लू दवा कारगर सिद्ध हुई है।

(लेखक विज्ञान के जानकार हैं) 


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