कोरोना महामारी ने भारत में नहीं बढ़ने दी घरों की कीमत, पहुंचा सबसे निचले स्थान पर
प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी क्षेत्र की ग्लोबल कंपनी नाइट फ्रैंक का कहना है कि पिछले वर्ष अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाला आवासीय बाजार था जहां कीमतों में सालाना आधार पर 3.6 फीसद की गिरावट आई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पिछले वर्ष दुनियाभर को अपनी चपेट में लेने वाले कोविड-19 ने रिहाइशी रियल एस्टेट की कीमत पर बड़ा असर डाला है। एक सर्वे का कहना है कि महामारी के प्रकोप के चलते भारत में आवासीय कीमतें बीते वर्ष की चौथी व आखिरी तिमाही में 3.6 फीसद घटीं। इसी का असर है कि आवासों की कीमत बढ़ने के मामले में वैश्विक सूची में भारत 43वें स्थान से फिसलकर सबसे निचले यानी 56वें स्थान पर चला गया। प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी क्षेत्र की ग्लोबल कंपनी नाइट फ्रैंक के मुताबिक इस सूची में तुर्की सबसे ऊपर है।
नाइट फ्रैंक का कहना है कि पिछले वर्ष अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाला आवासीय बाजार था, जहां कीमतों में सालाना आधार पर 3.6 फीसद की गिरावट आई। नाइट फ्रैंक अपने ग्लोबल हाउस प्राइस इंडेक्स के माध्यम से आधिकारिक आंकड़ों का इस्तेमाल कर दुनियाभर के 56 देशों में मकानों की कीमतों का ब्योरा तैयार करता है। समीक्षाधीन तिमाही के दौरान तुर्की का आवास बाजार सालाना आधार पर 30.3 फीसद बढ़ोतरी के साथ सबसे आगे रहा। उसके बाद न्यूजीलैंड और स्लोवाकिया का स्थान रहा। महामारी से सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका में इस दौरान आवासीय संपत्तियों की कीमत 10.4 फीसद बढ़ी।
नाइट फ्रैंक के चेयरमैन शिशिर बैजल का कहना था कि महामारी ने मकान खरीदने के प्रति लोगों की धारणा बदल दी है। टीकाकरण तेज होने से उम्मीद है कि बाजार की स्थिति फिर सामान्य होगी। सरकारों को भी कुछ उपाय करने होंगे ताकि बिक्री का सिलसिला आगे बढ़ सके।