अदालती कार्यवाही बाधित नहीं की जा सकती
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन कड़ी टिप्पणियों के साथ कठुआ जिला बार एसोसिएशन से पूछा कि उन्होंने अपनी हड़ताल वापस ली है कि नहीं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ दुष्कर्म कांड में विरोध कर रहे जम्मू के वकीलों को चेताया है कि वे अदालती कार्रवाही बाधित नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि उनके पास वकालत का अधिकार है लेकिन कोर्ट की कार्यवाही बाधित करने का अधिकार नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन कड़ी टिप्पणियों के साथ कठुआ जिला बार एसोसिएशन से पूछा कि उन्होंने अपनी हड़ताल वापस ली है कि नहीं। एसोसिएशन ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने गत 12 अप्रैल को ही हड़ताल वापस ले ली थी। कठुआ के वकीलों की ओर से कहा गया कि उनका प्रदर्शन और विरोध दूसरे मुद्दे को लेकर था लेकिन मीडिया ने उसे इस तरह पेश किया जैसे कि वे लोग दुष्कर्म मामले के खिलाफ हों। इस दलील पर पीठ ने कहा कि पृष्ठभूमि कुछ भी रही हो लेकिन नतीजा गलत निकला। कोर्ट ने कहा कि उन्हें सिर्फ मामले के निष्पक्ष ट्रायल की चिंता है। कोर्ट ने कहा कि वहां ऐसे हालात हो गए थे कि पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने के लिए मजिस्ट्रेट के आवास जाना पड़ा।
उधर दूसरी ओर बार काउंसिल आफ इंडिया की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने कठुआ में वकीलों के विरोध प्रदर्शन की घटना की जांच के लिए कमेटी बना दी है और ये कमेटी एक दो सप्ताह मे अपनी रिपोर्ट देगी। कोर्ट ने बीसीआई से 24 अप्रैल तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 26 अप्रैल तक के लिए टाल दी।
मालूम हो कि दुष्कर्म कांड मामले की जांच को लेकर कठुआ और जम्मू में हो रहे वकीलों के विरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया था और कठुआ व जम्मू हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन के साथ ही बार काउंसिल आफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। आज कोर्ट के नोटिस पर सभी की ओर से वकील पेश हुए थे।