Move to Jagran APP

कोयला घोटाला: कोर्ट ने सीबीआइ से पूछा, कोयला मंत्री से क्‍यों नहीं हुई पूछताछ?

दिल्‍ली की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को सीबीआई से पूछा कि कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के मामले की जांच के दौरान क्या उसने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पूछताछ की थी जिनके पास उस वक्त कोयला मंत्रालय का प्रभार था? इस मामले में शीर्ष उद्योगपति के एम बिड़ला, पूर्व

By Abhishake PandeyEdited By: Published: Tue, 25 Nov 2014 11:18 AM (IST)Updated: Tue, 25 Nov 2014 02:24 PM (IST)
कोयला घोटाला: कोर्ट ने सीबीआइ से पूछा, कोयला मंत्री से  क्‍यों नहीं हुई  पूछताछ?

नई दिल्ली। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को सीबीआई से पूछा कि कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच के दौरान क्या पूर्व कोयला मंत्री से पूछताछ की गई थी। इस मामले में शीर्ष उद्योगपति के एम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख समेत कई अन्य लोगों के नाम हैं।

loksabha election banner

विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने एजेंसी से पूछा, 'क्या आपको नहीं लगता कि इस मामले में तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ जरूरी थी? क्या आपको उनसे पूछताछ की जरूरत महसूस नहीं होती? क्या आपको नहीं लगता कि एक स्पष्ट तस्वीर पेश करने के लिए उनका बयान जरूरी था?'

इस पर जवाब देते हुए जांचकर्ता अधिकारी ने अदालत को बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों से जांच के दौरान पूछताछ की गई थी और यह पाया गया था कि तत्कालीन कोयला मंत्री का बयान जरूरी नहीं था। बहरहाल, उन्होंने यह बात स्पष्ट की कि तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई थी।

वर्ष 2005 में जब बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को ओडिशा के तालाबीरा द्वितीय और तृतीय में कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए थे, तब कोयला मंत्रालय का प्रभार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था।

जांचकर्ता अधिकारी ने कहा, 'पीएमओ के अधिकारियों से पूछताछ की गई थी। पीएमओ के अधिकारियों के बयान की रोशनी में तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ नहीं की गई।' उन्होंने यह भी कहा, 'तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई थी। यह पाया गया था कि उनका बयान जरूरी नहीं है।'

सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआई को अदालत के समक्ष केस डायरी जमा करवाने के निर्देश दिए। इसके बाद वरिष्ठ सरकारी वकील वी के शर्मा ने कहा कि एजेंसी को ये दस्तावेज सीलबंद कवर में जमा करवाने की अनुमति दी जाए।

न्यायाधीश ने आगे की कार्यवाही के लिए 27 नवंबर का दिन तय करते हुए कहा, 'मेरा मानना है कि इस मामले की केस डायरी फाइलें और आपराधिक फाइलें अदालत के समक्ष पेश करवाने के लिए मंगवाई जाएं और वरिष्ठ सरकारी वकील के अनुरोध के अनुसार, इसे सीलबंद कवर में पेश कर दिया जाना चाहिए।'

इससे पहले 10 नवंबर को सीबीआई ने अदालत को बताया था कि इस मामले में कुछ निजी पक्षों एवं जनसेवकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 'प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री' है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई के लिए नियुक्त किए गए विशेष सरकारी वकील आरएस चीमा ने न्यायाधीश के समक्ष कहा था कि अदालत क्लोजर रिपोर्ट में दिए अपराधों पर संज्ञान ले सकती है क्योंकि प्रथम दृष्टया 'आरोपियों की संलिप्तता दर्शाने वाले साक्ष्य हैं।'

पढ़े: कोल घोटाला: सांसद दर्डा व अन्य के खिलाफ दोबारा होगी जांच


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.