शिक्षा क्षेत्र पर काम कर रहे विशेषज्ञों की राय, देश को पूर्णकालिक डिजिटल शिक्षा नीति की जरूरत
शिक्षा नीति विशेषज्ञ मीता सेनगुप्ता के मुताबिक देश में डिजिटल साक्षरता को लेकर बहुत सारी योजनाएं हैैं। लेकिन कोई एकीकृत नीति नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिजिटल इंडिया अभियान के तहत तेजी से डिजिटल इकोनॉमी बनने की तरफ बढ़ रहे देश में अब एक पूर्णकालिक डिजिटल शिक्षा नीति की भी जरूरत महसूस होने लगी है। शिक्षा क्षेत्र पर काम कर रहे विशेषज्ञों और कंपनियों का मानना है कि सरकार के डिजिटल साक्षरता अभियान या राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन इस दिशा में काम तो कर रहे हैैं। परंतु स्कूलों के स्तर पर डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक पूर्ण नीति की आवश्यकता है।
डिजिटल एम्पावरमेंट फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के आइटी क्षेत्र में नेतृत्व करने और शिक्षा के प्रसार में बड़े पैमाने पर उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद डिजिटल साक्षरता 20 फीसद से कम है। ऐसे समय में जब सरकार प्रत्येक नागरिक को डिजिटल रूप से सेवा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है, पारंपरिक साक्षरता और अंक ज्ञान की तरह ही डिजिटल साक्षरता महत्वपूर्ण हो जाती है। शिक्षा नीति विशेषज्ञ मीता सेनगुप्ता के मुताबिक देश में डिजिटल साक्षरता को लेकर बहुत सारी योजनाएं हैैं। लेकिन कोई एकीकृत नीति नहीं है।
हालांकि निजी क्षेत्र की तरफ से इस दिशा में कई पहल की गई हैैं। इनमें डेल की परियोजना शुरू भी है। 2016 में शुरु हुई इस पहल में कंप्यूटर कंपनी डेल देश के 75 शहरों में 4500 स्कूलों में 75000 शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके जरिए हर साल 10 लाख स्कूली बच्चों की डिजिटल साक्षरता पर नजर रखी जा सकेगी। डेल इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पी कृष्णकुमार कहते हैैं, 'सरकारी योजनाओं की वजह से स्कूलों में पहुंचे कंप्यूटर शिक्षकों की कमी की वजह से उपयोग में नहीं आ पाते हैैं।