एफसीआइ में नियंत्रण से बाहर हो सकता है भ्रष्टाचार, संसद की स्थायी समिति ने जांच के मामलों पर जताई चिंता
खाद्य उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने कहा कि यह जानकर दुख हुआ कि पिछले चार वित्तीय वर्षो में एफसीआइ अधिकारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में सतर्कता मामले दर्ज किए गए हैं ।
नई दिल्ली, प्रेट्र। संसद की एक स्थायी समिति ने मंगलवार को चेतावनी दी कि अगर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) में भ्रष्टाचार नियंत्रण से बाहर हो सकता है। समिति ने इस सरकारी स्वामित्व वाली संस्था के अधिकारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में सतर्कता जांच के मामलों को लेकर चिंता जताई है। एफसीआइ खाद्यान्न की खरीद और वितरण मामलों की शीर्ष एजेंसी है।
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने कहा कि यह जानकर दुख हुआ कि पिछले चार वित्तीय वर्षो में एफसीआइ अधिकारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में सतर्कता मामले दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2017-18, वर्ष 2018-19, वर्ष 2019-20 और वर्ष 2020-21 में दर्ज मामलों की संख्या क्रमश: 817, 828, 691 और 406 थी। पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े सितंबर 2020 तक के हैं।
समिति ने पाया कि महाप्रबंधक (हरियाणा) के खिलाफ एक शिकायत लंबित है, और प्रबंधक (वाणिज्यिक), उदयपुर जिला और प्रबंधक (लेखा), उदयपुर के मामले में आरोप पत्र जारी किए गए हैं या जुर्माना लगाया गया है।
समिति ने मंगलवार को संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2020-21 के दौरान तीन मामले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) और तीन मामले केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को भेजे गए हैं।
तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंद्योपाध्याय की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की है कि एफसीआइ को अपने अधिकारियों द्वारा भ्रष्ट आचरण का पता लगाने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय में अपने सतर्कता तंत्र को मजबूत करना चाहिए और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
फसल बीमा योजना के दावों को निपटने में देरी पर सरकार की खिंचाई
भाजपा नेता पीसी गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली कृषि पर संसद की स्थायी समिति ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दावों के निपटान में देरी पर सरकार की खिंचाई की है और योजना को किसान हितैषी और तकनीक युक्त बनाने का सुझाव दिया है। लोकसभा में पेश अपनी 29वीं रिपोर्ट में समिति ने कृषि मंत्रालय से दावों का भुगतान करने में विफल रहने वाली कंपनियों के खिलाफ निश्चित समय सीमा के भीतर कार्रवाई करने को भी कहा है।