विकराल हो रहा भ्रष्टाचार के रावण का रूप, व्हिसल ब्लोअर को संरक्षण देने की जरूरत
ऑनलाइन सर्वे के मुताबिक 45 फीसद लोगों ने माना कि उन्होंने पिछले एक साल में अपना काम कराने के बदले में रिश्वत दी।
[रामनाथ झा]। भ्रष्टाचार का रावण दिन-प्रतिदिन ताकतवर होता जा रहा है। तमाम जतन के बाद भी भारत में इसका रूप हर गुजरते दिन के साथ और विकराल होता जा रहा है। इसके समूल नाश के लिए नियमों एवं कानूनों ही नहीं बल्कि समाज को उदित करना और व्हिसल ब्लोअर को संरक्षण देना होगा। आंकडे़ बताते हैं कि भ्रष्टाचार के मामलें बढ़े हैं। टीआइआइ और लोकल सर्किल के एक हाल के ऑनलाइन सर्वे के मुताबिक 45 फीसद लोगों ने माना कि उन्होंने पिछले एक साल में अपना काम कराने के बदले में रिश्वत दी। इसी सर्वे में अधिकतर लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार के स्थानीय मामलों की कोई सुनवाई नहीं है।
दक्षिण एशियाई देशों में भूटान का स्थान भ्रष्टाचार सूची में 180 देशों में 25वां है जबकि भारत 78वें एवं चीन 87वें स्थान पर है। भारत जैसे बडे़ देश की अपनी चुनौतियां हैं किंतु भूटान जैसे पड़ोसी देश एक सफल उदाहरण हैं। भ्रष्टाचार का मुख्य कारण समाज में लालच व जल्दी अमीर बनने की चाह, कानून की कठोरता अमल न होना, नेता- उद्योगपतियों एवं नौकरशाही गैर नैतिक गठजोड़ , नैतिक मूल्यों में आम लोग का विश्वास कम होना आदि है। नैतिकता एवं सदाचार के पाठ में घर परिवार एवं शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है।
डिजिटाइजेशन की अहम भूमिका
भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों पर आमजन को जागरूक करने, न्याय की प्रक्रिया में तेजी लाने, भ्रष्ट अधिकारियों में खौफ बनाने, मामलों में त्वरित सुनवाई होने से असर अच्छा जाता है। इस लक्ष्य को पाने के लिए डिजिटाइजेशन भी अहम भूमिका निभा सकती है। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कथनी एवं करनी में फर्क किये बिना, सीढ़ी की तरह ऊपर से सफाई और नीचे से प्रशासनिक सुधार हो, तब भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना साकार हो सकता है।
[कार्यकारी निदेशक, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया (टीआइआइ)]